मिश्रिख में सूबे का पहला 'साथिया'

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By JagranEdited By: Publish:Tue, 17 Dec 2019 11:12 PM (IST) Updated:Wed, 18 Dec 2019 06:08 AM (IST)
मिश्रिख में सूबे का पहला 'साथिया'
मिश्रिख में सूबे का पहला 'साथिया'

अनुपम सिंह, सीतापुर : किशोरावस्था में शारीरिक बदलाव से किशोर-किशोरियों के मन में आशंकाओं के बादल उमड़ते-घुमड़ते हैं। मन में तमाम ख्याल उठते हैं, पर दिल की बातें वे अपनों से कह नहीं पाते। दोस्तों से शेयर करने में भी हिचकते हैं, ऐसे ही किशोर-किशोरियों के मन की जिज्ञसाओं को जानने के लिए एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) के राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मई 2015 में सूबे के जिला अस्पतालों और सीएचसी पर स्वास्थ्य क्लीनिक (एएफएच क्लीनिक) शुरू हुई थी, लेकिन जिले की मिश्रिख सीएचसी ने पूरे प्रदेश को पछाड़ते हुए बेहतर प्रदर्शन किया। नतीजतन, (एएफएच क्लीनिक) सूबे की मॉडल सीएचसी चुनी गई। इस सफलता के पीछे मिश्रिख अर्श काउंसलर लक्ष्मी गुप्ता की अहम भूमिका है। उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाकर सराहनीय कार्य किया। बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह सूबे की पहली पिक कलर की मॉडल क्लीनिक (साथिया केंद्र) का ऑनलाइन शुभारंभ करने वाले हैं।

फ्रेंडली बनाया गया है साथिया केंद्र

जानकार बताते हैं कि साथिया केंद्र को प्रत्येक किशोर-किशोरी के लिए पूरी तरह से फ्रेंडली बनाया जा रहा है। उनकी गोपनीयता का पूरा ध्यान रखा गया है। इस केंद्र पर 10 से 19 वर्ष की उम्र के किशोर-किशोरी अपनी परामर्शदाता से जिज्ञासाओं का समाधान पा सकेंगे। इस साथिया केंद्र की स्थापना राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) और भारतीय जनसंख्या फाउंडेशन (पीएफआइ) की मदद से की जा रही है।

नौ माह में 36 फीसद का हुआ इजाफा

जिले में नौ माह में किशोर-किशोरियों को परामर्श देने में 36 फीसद का इजाफा हुआ है। इस दरम्यान स्कूल और कॉलेजों में संपर्क कर 52 हजार से भी अधिक किशोर-किशोरियों को परामर्शदाता की ओर से प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा गांव-गांव जाकर 25 सौ पीयर एजूकेटर को प्रशिक्षित किया गया, जो किशोर-किशोरियों को पहले चरण में परामर्श देते हुए उन्हें इस योजना और अर्श काउंसलर की जानकारी देते हैं। उन्हें एएफएच क्लीनिक तक पहुंचाते हैं।

क्या कहती हैं काउंसलर

मिश्रिख सीएचसी की अर्श काउंसलर लक्ष्मी गुप्ता कहती हैं कि, किशोरवय में शारीरिक परिवर्तन होने से हर किशोर-किशोरी एक मुश्किल दौर से गुजरता है। साथिया केंद्र पर आने वाले किशोर और किशोरियों को इन परिवर्तनों के साथ ही उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया जाएगा, इससे इनको यौन संक्रमण के साथ ही यौन अपराधों से भी बचाया जा सकेगा।

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