यूपी की इस लोकसभा सीट को लेकर असमंजस में मायावती, तीन बार जीत फिर भी ‘हाथी’ भयभीत

वर्ष 1984 में स्थापना के बाद 1989 में पहली बार चुनाव मैदान में बसपा उतरी। 35 वर्षों में लगातार 15 वर्षों तक इस क्षेत्र का दिल्ली में प्रतिनिधित्व पार्टी के प्रत्याशियों ने किया है। इसके अलावा पार्टी प्रत्याशी तीन बार दूसरे दो बार तीसरे व एक बार चौथे स्थान पर रहे हैं। इसके बावजूद इस बार के लोकसभा चुनाव के लिए अभी तक पार्टी की ओर से...

By Badri vishal awasthi Edited By: Riya Pandey Publish:Mon, 08 Apr 2024 02:38 PM (IST) Updated:Mon, 08 Apr 2024 02:38 PM (IST)
यूपी की इस लोकसभा सीट को लेकर असमंजस में मायावती, तीन बार जीत फिर भी ‘हाथी’ भयभीत
यूपी की इस लोकसभा सीट पर मजबूत पकड़ के बाद भी असमंजस में मायावती

HighLights

  • इस लोकसभा सीट पर है मायावती की मजबूत पकड़
  • मजबूत पकड़ के बावजूद बसपा ने अब तक नहीं उतारा कोई प्रत्याशी
  • 1999 व 2004 में राजेश वर्मा व 2009 में कैसर जहां चुनीं गईं सांसद

डिजिटल डेस्क, सीतापुर। Lok Sabha Elections: संसदीय क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी की मजबूत पकड़ रही है। वर्ष 1984 में स्थापना के बाद 1989 में पहली बार चुनाव मैदान में उतरी। 35 वर्षों में लगातार 15 वर्षों तक इस क्षेत्र का दिल्ली में प्रतिनिधित्व पार्टी के प्रत्याशियों ने किया है।

इसके अलावा पार्टी प्रत्याशी तीन बार दूसरे, दो बार तीसरे व एक बार चौथे स्थान पर रहे हैं। इसके बावजूद इस बार के लोकसभा चुनाव के लिए अभी तक पार्टी की ओर से प्रत्याशी की घोषणा नहीं की जा सकी है। राजनीतिक जानकार इसको पार्टी की भविष्य को लेकर चिंता व जनाधार खोने के भय से जोड़कर देख रहे हैं।

उनका मानना है कि शायद इसीलिए पार्टी नफा-नुकसान का आकलन करने के बाद प्रत्याशी घोषित करना चाहती है। बसपा के अब तक के प्रदर्शन का विश्लेषण करती सीतापुर से जगदीप शुक्ल की रिपोर्ट...

पहले चुनाव में ही दिखी मजबूती

बसपा ने यहां से पहला चुनाव 1989 में लड़ा। इस चुनाव में पार्टी प्रत्याशी सैय्यद नसीर अहमद 116680 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस की राजेंद्र कुमारी वाजपेयी 156906 मत पाकर विजेता रहीं और जनता दल के शिव सेवक 147748 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे।

इसके बाद 1991 के चुनाव में पार्टी के मतों में कमी आई और अजीज खां 35670 मत ही पा सके। उन्हें चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा। 1996 में प्रदर्शन सुधरा और चौथे से तीसरे स्थान पर पार्टी फिर पहुंच गई। इस चुनाव में प्रेमनाथ वर्मा को 117791 मत मिले।

जीती तो कभी मुख्य मुकाबले में रही बसपा

1998 से पार्टी का प्रदर्शन सुधरा है। इसके बाद पार्टी प्रत्याशियों ने जहां तीन बार जीत हासिल की वहीं तीन बार मुख्य मुकाबले में रहे। 1998 में प्रेमनाथ वर्मा 188954 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे। इसके बाद 1999 व 2004 में पार्टी के राजेश वर्मा व 2009 में कैसर जहां ने संसद में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 2014 में कैसर जहां और 2019 में नकुल दुबे दूसरे स्थान पर रहे।

बसपा जिलाध्यक्ष विकास राजवंशी के अनुसार, पार्टी के टिकट के लिए सात लोगों ने दावेदारी की है। दावेदारों में दो मुस्लिम, दो कुर्मी, दो यादव और एक रावत बिरादरी से हैं। नेतृत्व की ओर से जल्द प्रत्याशी की घोषणा की जाएगी। कार्यकर्ता चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

राजनीतिक विश्लेषक प्रो. रजनीकांत श्रीवास्तव के अनुसार, भाजपा की समावेशी राजनीति ने बसपा का काफी नुकसान किया है। इससे बसपा का वोट बैंक बिखर गया है। चुनाव सिर पर हैं, अब किसी तरह की रणनीति काम की नहीं। वोट बैंक को लेकर डर व असमंजस की स्थितियां स्वाभाविक हैं।

बसपा के प्रदर्शन में यूं आया उतार-चढ़ाव

वर्ष  प्रत्याशी वोट
1989 सैय्यद नसीर अहमद 116680
1991 अजीज खां 35670
1996 प्रेम नाथ वर्मा 117791
1998 प्रेमनाथ वर्मा 188954
1999 राजेश वर्मा 211120
2004 राजेश वर्मा 171733
2009 कैसर जहां 241106
2014 कैसर जहां 366519
2019 नकुल दुबे 413695

फैक्ट फाइल

कुल मतदाता  1747932
महिला  818167
पुरुष  929,689
अन्य 76
युवा  839531
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