नहीं हो रहा शिकायतों का समाधान, पीड़ित परेशान

संपूर्ण समाधान दिवस में ज्यादातर मामले अवैध कब्जेदारी के आ रहे हैं। निस्तारण से भी पीड़ित नहीं दिखते संतुष्ट।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 11:18 PM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 11:18 PM (IST)
नहीं हो रहा शिकायतों का समाधान, पीड़ित परेशान
नहीं हो रहा शिकायतों का समाधान, पीड़ित परेशान

सीतापुर : संपूर्ण समाधान दिवस (तहसील दिवस) में एक ही समस्या के संबंध में बार-बार अर्जी देने वालों की संख्या अधिक देखी जा रही है। सिधौली में डीएम-एसपी पहुंचे थे। तहसीलदार ने बताया, सात मामलों का मौके पर ही निस्तारित कराया गया है। डीएम-एसपी कुछ देर तक रुके थे फिर चले गए थे। प्राप्त हुए प्रार्थना पत्रों भी सामान्य मामलों के हैं। सदर तहसील में सीडीओ अक्षत वर्मा की अध्यक्षता में तहसील दिवस हुआ।

श्मशान व तालाब पर नहीं हटवा पाए कब्जा :

कोतवाली देहात के पुरवा कालिका बक्श भटपुरवा के राम लखन शनिवार को भी तहसील में पेश हुए। बताया, गांव के गाटा-165 के श्मशान व 156क पर तालाब है। इन पर कब्जेदारी हो गई है। कब्जेदारों के विरुद्ध राम नरायन, गुड्डू, जीतू, राम औतार, राहुल, प्रताप नरायन कई वर्ष से तहसील दौड़ रहे हैं। 2019 में भी कई अर्जियां लगाईं। 2020 में भी पैरवी की, पर कब्जा नहीं हटा है।

पंचायत मित्र नहीं दे रहा बकाया मजदूरी :

खैराबाद के सधुवापुर के विदेश, प्रमिला, कमलू, छोटकन्ने, फुलझारा, रामसागर को 18 हजार रुपये बकाया मजदूरी नहीं मिली है। ये लोग तहसील दिवस में आए थे। बताया, प्रधानमंत्री आवास योजना में घर बन गए हैं लेकिन, पंचायत मित्र उन्हें बकाया मजदूरी नहीं दे रहा है। उन लोगों के मजदूरी के 18 हजार रुपये बाकी हैं।

पड़ोसी ने खेत पर किया कब्जा :

बंदीपुर के हरिश्चंद्र अपनी मां गंगादेई के खेत की पैमाइश को तहसील दौड़ रहे हैं। उनकी शिकायत है कि पड़ोसी किसानों ने उनके खेत के कुछ हिस्से को भी जोत लिया है। इसलिए उनका रकबा कम हो गया है। कब्जेदारों से परेशान जिलामऊ मजरा अकोइया के राजकुमार ने अर्जी दी है। कहा है कि उनके खेत में 10 पेड़ लगे हैं, जिन पर विपक्षी कब्जेदारी कर रहे हैं।

बार-बार आने वालों की पहचान की व्यवस्था नहीं :

सदर तहसीलदार ज्ञानेंद्र द्विवेदी ने बताया कि जो व्यक्ति दो या इससे अधिक बार एक ही समस्या की अर्जी लेकर तहसील में आ रहा है तो उसकी पहचान के लिए कोडिग आदि की व्यवस्था नहीं है। यदि पता चल जाता है तो प्रयास होता है कि उसी दिन शिकायत का निपटारा करा दें। कुछ मामले न्यायालय से जुड़े होते हैं, जिस पर निर्णय लेना मुश्किल होता है, जिससे शिकायतकर्ता को कई बार तहसील आना पड़ता है।

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