बीमारी से ज्यादा घातक है लापरवाही
सीतापुर : यदि आपको कुत्ता, बंदर, लंगूर, सियार, लोमड़ी काट ले, तो बहुत परेशान होने की जरूरत नहीं है। यह सच है कि इन जानवरों के काटने से रेबीज जैसी खतरनाक बीमारी भी हो जाती है। लेकिन एक तल्ख हकीकत यह भी है कि यह बीमारी खतरनाक तो है, लेकिन जानलेवा नहीं, इसके लिए शर्त यह है कि समय से इलाज मिल सके।
यदि कोई जानवर आपको काट लेता है तो सबसे पहले घाव को साबुन से अच्छी तरह धोकर उस पर कोई एंटिसेप्टिक क्रीम लगाएं। इसके बाद रोगी को रेबीज से बचाव के टीके लगवाएं। एहतियात के तौर पर यह तीन टीके सात-सात दिनों के अंतर पर लगवाए जा सकते हैं।
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रेबीज के लक्षण
घाव में जलन के साथ ही बुखार, जी मिचलाना, हाथ, पैर और सर में दर्द होना, बुखार तथा सास लेने में मुश्किल होना, पीड़ित के स्वभाव में चिड़चिड़ापन आना व पानी से डर लगना, गले, सीने, सास मार्ग की मासपेशियों में अकड़न, मुंह से झाग, आखों से आसू आना, लार टपकना, अधिक पसीना आना रेबीज के प्रारंभिक लक्षण हैं।
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कितने दिन में करता असर
जानवर ने मानव शरीर के किस भाग पर काटा है, घाव कितना गहरा है और उसमें कितनी लार है, इसके अनुसार ही रेबीज के लक्षण प्रकट होते हैं। घाव सिर के जितने नजदीक होता है, रोग उतनी ही तेजी से फैलता है। आमतौर पर एक माह से तीन माह में इस रोग के लक्षण नजर आने लगते हैं। दस से बीस दिनों में ही रोगी की मृत्यु हो जाती है।