यहां तालीम से गढ़ी जा रही तकदीर

जिले के इटवा तहसील मुख्यालय से सटे अमौना गांव में तालीम से बेसहारा बच्चों की तकदीर गढ़ी जा रही है। 300 यतीम तो 250 अति गरीब बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा दी जा रही है। पढ़ाई-लिखाई के साथ भोजन ड्रेस दवाएं आदि का खर्च कालेज प्रबंधन ही उठाता है। यह कार्य कर रहा है अल फारुक इंटर कालेज।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 Feb 2020 11:30 PM (IST) Updated:Fri, 14 Feb 2020 11:30 PM (IST)
यहां तालीम से गढ़ी जा रही तकदीर
यहां तालीम से गढ़ी जा रही तकदीर

सिद्धार्थनगर : जिले के इटवा तहसील मुख्यालय से सटे अमौना गांव में तालीम से बेसहारा बच्चों की तकदीर गढ़ी जा रही है। 300 यतीम तो 250 अति गरीब बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा दी जा रही है। पढ़ाई-लिखाई के साथ भोजन, ड्रेस, दवाएं आदि का खर्च कालेज प्रबंधन ही उठाता है। यह कार्य कर रहा है अल फारुक इंटर कालेज। हिन्दू-मुसलमान बच्चों के एक साथ पढ़ने से मजहबी दीवार भी गिर गई है।

नदवदुस्सुन्ना एजूकेशनल सोसाइटी नाम की अल्पसंख्यक संस्था द्वारा इसे चलाया जा रहा है। 1993 में यह विद्यालय खुला, उस वक्त कक्षा पांच तक की शिक्षा दी जाती थी। 2009 में हाईस्कूल व 2011 से इंटर तक की शिक्षा मिलनी शुरू हुई। वर्तमान में 1527 बालक व 1685 बालिकाएं पढ़ रही हैं। इसमें तीन दर्जन से अधिक हिदू बच्चे भी शामिल हैं।

अरबी, उर्दू, विज्ञान, गणित, हिदी के साथ संस्कृत की भी शिक्षा दी जाती है। कक्षा 6 से 8 तक लड़कों के लिए कंप्यूटर, लड़कियों के लिए भोजन बनाने, कढ़ाई, सिलाई के कोर्स भी कराए जाते हैं, ताकि आत्म निर्भर बन सकें।

हम शिक्षा से भी रह जाते यतीम

मो. नगर निवासी कक्षा 10 के छात्र अब्दुल हलीम व भावपुर उर्फ गुलरी निवासी कक्षा 9 के छात्र सैफुल इस्लाम दोनों यतीम हैं। इनका कहना है कि अगर संस्था न होती, तो शिक्षा से भी यतीम ही रह जाते।

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कालेज नहीं लेता सरकारी मदद

विद्यालय सरकारी मदद नहीं लेता। प्रबंधक मौलाना शब्बीर अहमद ने बताया कि समाज के लोगों से मदद लेते हैं। जकात के अलावा रमजान में चंदा एकत्रित किया जाता है। एफसीआर रजिस्टर्ड खाता है। कतर, कुवैत जैसे देशों से भी से कुछ लोगों से सहयोग लिया जाता है। हमारा उद्देश्य बेहतर शिक्षा देना, ऐसे बच्चे जिनकी तालीम का कोई समुचित प्रबंध नहीं है, उन्हें शिक्षा उपलब्ध कराना ही है।

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कई छात्र नाम कर रहे हैं रोशन

विद्यालय से पढ़े शमीम अहमद, मो. अरशद, अब्दुल हकीर बीयूएमएस, डा. अब्दुल हकीकम, इरशाद अहमद बी टेक कर रहे हैं।

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