अधूरा रह गया हरित क्रांति का सपना

हरित क्रांति व बाढ़ नियंत्रण के लिए लागू हुई सरयू नहर परियोजना आज दयनीय है

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jan 2019 07:00 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jan 2019 07:00 AM (IST)
अधूरा रह गया हरित क्रांति का सपना
अधूरा रह गया हरित क्रांति का सपना

सिद्धार्थनगर : हरित क्रांति व बाढ़ नियंत्रण के लिए लागू हुई सरयू नहर परियोजना आज दयनीय स्थिति से गुजर रही है। इस परियोजना पर अब तक करोड़ों रुपये व्यय हो चुके लेकिन उद्देश्य में आज तक अपूर्ण है। प्रदेश के पूर्वी जिलों बहराइच, गोंडा, बलरामपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, महराजगंज संतकबीर नगर व गोरखपुर के क्षेत्रों में ¨सचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए इस परियोजना को 1978 में स्वीकृति मिली तो 1979 से कार्य भी प्रारंभ हो गया। रुक रुक मिलने वाले धन से काम में शिथिलता आती गई और लागत बढ़ती गई। नतीजन परियोजना आज तक पूरी नहीं हो सकी।

परियोजना का उद्देश्य यह भी था कि सरयू व घाघरा के पानी को राप्ती नदी में गिरा उसे नहर के माध्यम से खेतों तक पहुंचाया जाएगा । इससे बाढ़ नियंत्रण में भी काफी राहत मिलती। रिठीया, नासिरगंज व करही माइनर आधूरी परियोजना की खुद गवाही कर रही हैं।

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बढ़ती गई लागत

इस परियोजना के पूर्ण होने में कुल 272 करोड़ रुपये व्यय होने का अनुमान था, लेकिन समय से कार्य प्रारंभ न होने तथा बढ़ रहे निर्माण सामग्रियों की लागत से इसका बजट 800 करोड़ कर दिया गया। वर्ष 1988 तक 299.92 करोड़ व्यय करके जिले के पश्चिमी भाग तक इसकी खुदाई करा कर छोड़ दिया गया। वर्ष 1984-85 में इस पर कुल 222 करोड़ की स्वीकृति थी लेकिन मात्र 153 करोड़ ही आवंटित किया गया। इस प्रकार वर्ष 1985-86 में 217 करोड़ देने का प्रावधान किया गया पर मिले मात्र 138 करोड़।

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कुछ जगहों पर अभी काम बाकी पड़ा है। अब इस परियोजना में धन भी नहीं आ रहा है। जो भी पैसा मिलता है वह रिपेय¨रग वर्क के लिए आता है। कार्य पूर्ण होने पर ही इन माइनरों में पानी छोड़ा जा सकता है।

राजेश कुमार गौतम

अधिशासी अभियंता, सरयू नहर खंड

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