संसाधनों की कमी से प्रभावित हो रही बिजली आपूर्ति

दावा शहर को चौबीस घंटे बिजली सप्लाई का है। मगर हकीकत इसके उलट है। लोकल फाल्ट हो जाने पर भी उपभोक्ताओं को 24 घंटे तक बिजली की आपूर्ति का इंतजार करना पड़ रहा है। इसके पीछे संसाधनों का अभाव अहम कारण है। विभाग के पास न तो खंभों को ले जाने का इंतजाम है और न ही रात में तार टूटने पर जोड़ने के लिए जरूरी उपकरण

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jan 2019 11:05 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jan 2019 11:05 PM (IST)
संसाधनों की कमी से प्रभावित हो रही बिजली आपूर्ति
संसाधनों की कमी से प्रभावित हो रही बिजली आपूर्ति

सिद्धार्थनगर : दावा शहर को चौबीस घंटे बिजली सप्लाई का है। मगर हकीकत इसके उलट है। लोकल फाल्ट हो जाने पर भी उपभोक्ताओं को 24 घंटे तक बिजली की आपूर्ति का इंतजार करना पड़ रहा है। इसके पीछे संसाधनों का अभाव अहम कारण है। विभाग के पास न तो खंभों को ले जाने का इंतजाम है और न ही रात में तार टूटने पर जोड़ने के लिए जरूरी उपकरण। जिसके कारण पिछले एक सप्ताह में बारी-बारी से आधे शहर की सप्लाई चौबीस घंटे तक ठप हो चुकी है।

सोमवार की रात में शहर के खजुरिया रोड पर टूटे खंभे के न बदले जाने से विकास भवन सहित आधा दर्जन मोहल्लों मे चौबीस घंटे से अधिक बिजली की आपूर्ति ठप रही। कारण स्टोर से खंभा ले जाने के लिए साधन न होना रहा। शहर में बिजली की आपूर्ति लोकल फाल्ट से लड़खड़ा गई है। एक सप्ताह में दो बार शहर के आधे हिस्से में बिजली की आपूर्ति ठप हो चुकी है। संसाधन की कमी के कारण कर्मचारी असहाय बने हुए है। ठंड बढ़ने के पश्चात लोकल फाल्ट में इजाफा हुआ है। हर दिन कहीं न कहीं तार टूट रहा है। पिछले सप्ताह में गुरुवार की रात में रेलवे स्टेशन के पास मुख्य लाइन का तार टूट गया। जिससे रात भर बिजली की आपूर्ति ठप रही। कर्मचारी रोशनी का इंतजाम न होने के कारण टूटे तार को नहीं ढूढ़ पाए। इसे अगले दिन दोपहर में ठीक किया जा सका। जिसके कारण अनूप नगर, बांसी बस स्टैंड तिराहा सहित विभिन्न मोहल्लों की सप्लाई ठप रही। खजुरिया रोड पर टूटे खंभे को बुधवार के दोपहर बाद बदला जा सका।

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इन संसाधनों की है कमी

लाइनमैन खुले तारों को जोड़ने के लिए खुले हाथ काम करते हैं। उन्हे गल्पस तक मुहैया नहीं कराया गया है। रात को चलने वाली गैंग के पास रोशनी के लिए टार्च तक नहीं है। सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट आदि सामान भी मौजूद नहीं है। खंभों को ले जाने के लिए वाहन भी नहीं है। इसका खामियाजा उपभोक्ता उठा रहे हैं।

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क्या कहते हैं जिम्मेदार

संसाधनों की कमी को पूरा कराया जाएगा। ठंड में फाल्ट होने पर थोड़ी बहुत दिक्कत होती है। रात में पोल पर चढ़ना किसी खतरे से कम नहीं होता। मौसम सामान्य होते ही सब सामान्य हो जाएगा।

पीएन प्रसाद, अधिशाषी अभियंता, विद्युत सिद्धार्थनगर

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