यार के गम में खुद का दुख भूला भारत

सिद्धार्थनगर : कोई भारतीयों से सीखे मानवता का सबक। मित्रता निभाना। कोई सानी नहीं है हिन्दुस्तानियों

By Edited By: Publish:Mon, 27 Apr 2015 08:32 PM (IST) Updated:Mon, 27 Apr 2015 08:32 PM (IST)
यार के गम में खुद का दुख भूला भारत

सिद्धार्थनगर : कोई भारतीयों से सीखे मानवता का सबक। मित्रता निभाना। कोई सानी नहीं है हिन्दुस्तानियों का। नेपाल के सीमाई इलाके जैसा भूकंप का प्रभाव इस क्षेत्र में भी रहा, पर शरण मित्र राष्ट्र के लोग आये तो भारत अपना दुख भूल गया। किसी को ¨चता ही नहीं खुद के दुख की। होड़ लग गयी शरणागतों के मदद की। कोई रोटी लेकर दौड़ रहा है तो कोई पानी की। यार के गम खुद का बेहद कम दिख रहा है। बस ¨चता इस बात की है कि किसी नेपाली के चेहरे पर आंसू न रह जायें।

एक बार फिर नेपाल भारत की शरण में है। बढ़नी, खुनुवा, कोटिया, अलीगढ़वा, ककरहवा जैसे सीमाई क्षेत्रों में लाखों की तादाद में नेपाली आकर ठहरे हैं। उनके चेहरे पर बेबसी इस कदर छायी है कि किसी को न घर की ¨चता है न ही किसी धन दौलत की। जान-जहान के सिद्धांत पर वह चले आये हैं अपनों के पास। यहां प्रशासन से लेकर निजी स्तर पर नागरिक उनकी मदद में जुटे हैं। नेपाल में भूकंप से भारी तबाही के बाद हालात काफी नाजुक बने हुए हैं। सीमावर्ती इलाकों में अभी भी अफरा-तफरी का माहौल है। किसी अनहोनी के डर से अभी भी लोग रात को घरों में सोने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। बढ़नी, खुनुवा सहित अन्य कई सीमावर्ती क्षेत्रों में कई संस्थाओं ने इस दुख की घड़ी में पीड़ितों के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। सीमा पर एसएसबी ने भूकंप पीड़ितों को राहत एवं सहायता पहुंचाने हेतु विभिन्न स्थानों पर अस्थाई राहत शिविर बनाया है। जिला प्रशासन द्वारा भी नेपाल से आने वाले लोगों के लिए बढ़नी में स्थित लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण गृह में एक राहत शिविर की तत्काल स्थापना की है। सहयोग के लिए खंड विकास अधिकारी बढ़नी व अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत बढ़नी को शिविर संचालन की देखरेख के लिए नियुक्त किया गया है। नेपाल से आने वाले भूकंप प्रभावित लोगों के लिए भोजन, पानी, दवा आदि की समुचित व्यवस्था की गई है।

सोमवार को निरीक्षण करने पहुंचे डीएम डा. सुरेन्द्र कुमार, एसपी केके चौधरी ने शिविर का जायजा लेते हुए मातहतों को आवश्यक निर्देश दिये, वहीं नगर पंचायत बढ़नी को भी बिजली व साफ-सफाई की व्यवस्था बनाये रखने को निर्देशित किया है।सादे पोशाक में प्रशिक्षित जवानों की तैनाती

एसएसबी बढ़नी तथा खुनुवां वार्डर पर प्रशिक्षित महिला एवं पुरूष जवानों को सादे पोशाक में तैनात किया है, जो नेपाल से आने वाले लोगों की जांच-पड़ताल कर उन्हें राहत शिविर में खाने-पीने व चिकित्सा सहित रात्रि विश्राम की सुविधा मुहैय्या करायेंगे। काठमांडो में पिछले तीन दिनों से फंसे आठ भारतीय नागरिकों को नेपाल के सुरक्षा जवानों ने एसएसवी के राहत शिविर में सोमवार को पहुंचाया, जिसमें दिल्ली के प्रवीन कुमार, नरेश कुमार, भारती व सन्तोष कुमार थे। इन लोगों ने बताया कि हम लोग अपने वाहन से काठमांडो घूमने गये थे वहां दो दिनों से फंसे रहे। स्थानीय लोगों की सहायता से निकल पाने मे कामयाब हुए। पोखरा से लौटे बिहार के मनीष कुमार ¨सह, सुपेश पाण्डेय, प्रियेश पाण्डेय ने बताया कि पोखरा व मग¨लग के बीच पिछले तीन दिनों से रास्ता बंद होने के कारण हम लोग वापस नहीं आ सके। बताया कि हालात वहां के अभी भी काफी खराब हैं। खाने-पीने व दवाइयों का घोर अभाव है। हम लोग भी पिछले तीन दिनों से कुछ खाया पिया नहीं। शिवर में पहुंचने पर सभी के चेहरों पर संतोष के भाव थे।

नेपाल में मानवता को बचाने के प्रयास में जुटे लोग नेपाल के विभिन्न दुर्गम स्थानों पर फंसे लोगों को बाहर निकालने में जहां विभिन्न सुरक्षा एजेंसियां लगी हुई हैं, वहीं नेपाल की पश्चिमांचल बस व्यवसायी समिति ने आपदा एवं बचाव में फंसे यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने में निश्शुल्क सेवा प्रदान कर रही है।

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