पुत्री ने निभाया फर्ज, पिता को दी मुखाग्नि
शामली जेएनएन बेटा-बेटी एक समान..। यह नारा मंचों से लेकर इबारतों तक खूब सुना-पढ़ा जाता है लेकिन इस पर अमल के अभी अपेक्षित नतीजे नहीं हैं। माता या पिता को पुत्री द्वारा मुखाग्नि दिए जाने का फर्ज भी इनमें से एक है। एक बेटी ने पिता को मुखाग्नि देकर इस नारे को सशक्त किया है। जिसने भी यह नजारा देखा उसकी आंखें भर आईं।
शामली: जेएनएन:
बेटा-बेटी एक समान..। यह नारा मंचों से लेकर इबारतों तक खूब सुना-पढ़ा जाता है लेकिन इस पर अमल के अभी अपेक्षित नतीजे नहीं हैं। माता या पिता को पुत्री द्वारा मुखाग्नि दिए जाने का फर्ज भी इनमें से एक है। एक बेटी ने पिता को मुखाग्नि देकर इस नारे को सशक्त किया है। जिसने भी यह नजारा देखा, उसकी आंखें भर आईं।
जलालाबाद के मोहल्ला प्रतापनगर निवासी महावीर सैनी की एकमात्र संतान बेटी विशाखा सैनी हैं। रिश्तेदारों व अन्य लोगों ने बच्चा गोद लेने की भी सलाह दी लेकिन उन्होंने बेटी को ही बेटे की तरह सशक्त बनाने का फैसला ले लिया। विशाखा को बीएड कराया। फिलहाल वह गुरुनानक कन्या इंटर कालेज में शिक्षिका हैं।
कुछ दिन पूर्व महावीर सैनी को हृदयाघात हुआ। विशाखा पिता को सहारनपुर चिकित्सालय ले गईं। डाक्टरों ने छुट्टी दे दी। शुक्रवार को तीसरी बार हृदयाघात होने पर उन्हें अस्पताल ले जाने लगे लेकिन उन्होंने रास्ते में बेटी की गोद में दम तोड़ दिया।
शव को वापस घर ले आए। इसके बाद अंतिम संस्कार को लेकर विचार-विमर्श किया गया। विशाखा ने खुद यह दायित्व निभाने की बात कही। देवता मंदिर के निकट श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। विशाखा ने पिता को मुखाग्नि दी तो हर आंख छलछला उठी।
पं. राधेश्याम शर्मा का कहना है कि सनातन धर्म में पुत्र द्वारा मुखाग्नि दिए जाने की व्यवस्था है। अब समय बदल रहा है तो बेटियां भी मुखाग्नि देने का फर्ज निभा रही हैं। इस दौरान सैकड़ों लोग मौजूद थे।