नीलकंठ बन भूमि का 'विष' हर रहे धर्मपाल

अनुज सैनी, शामली : 'जहर मुक्त धरती, कर्ज मुक्त किसान' 'बाजार मुक्त खेती, व्यसन मुक्त जवान' कवि क

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Sep 2018 10:06 PM (IST) Updated:Wed, 12 Sep 2018 10:06 PM (IST)
नीलकंठ बन भूमि का 'विष' हर रहे धर्मपाल
नीलकंठ बन भूमि का 'विष' हर रहे धर्मपाल

अनुज सैनी, शामली : 'जहर मुक्त धरती, कर्ज मुक्त किसान'

'बाजार मुक्त खेती, व्यसन मुक्त जवान'

कवि की इन पंक्तियों के जरिए किसानों, युवाओं और आमजन को कोई शख्स किसी गांव, चौपाल या फिर किसी किसान गोष्ठी में समझाता मिले तो समझ लीजिए, यही है धरतीपुत्र धर्मपाल ¨सह। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता व प्रगतिशील किसान ठा. धर्मपाल ¨सह गाय के गोबर का प्रयोग कर सवा गुणा अधिक उत्पादन, बायो गैस और जमीन की उत्पादन क्षमता बढ़ाकर देश व प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में किसानों को प्रेरित कर रहे है। भले ही देश की सरकार आज किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखती हो, लेकिन किसान धर्मपाल करीब दो दशक से किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन के गुर सिखा रहे हैं।

जिले के थानाभवन निवासी किसान धर्मपाल की आत्मा खेत खलिहान में बसती है। यही वजह है कि उन्होंने अपने जीवन को खेती को समर्पित कर दिया। वे 19 साल से गो आधारित खेती कर रहे हैं। किसान धर्मपाल के मुताबिक, पेस्टीसाइडस के अत्यधिक प्रयोग से खेत में उगने वाली फसलें जहरीली हो रही हैं। यही वजह कि कोई न कोई बीमारी लोगों को खाट पकड़ने को मजबूर करती है। दरअसल, गाय के गोबर से खेत में रासायनिक खाद या पेस्टीसाइड्स डालने की जरूरत ही नहीं रहती है। वहीं उत्पादन भी दूसरे किसानों की अपेक्षा सवा गुणा तक अधिक होता है, जबकि दो गैस सिलेंडर के बराबर बायोगैस भी मिलती है। दूसरी ओर जमीन की उर्वरा शक्ति क्षीण होने के बजाय निरंतर बढ़ती जाती है।

16 एकड़ की खेती में कर रहे जैविक खेती

प्रदेश के कस्बा थानाभवन के किसान धर्मपाल ¨सह अपनी 16 एकड़ भूमि में गो आधारित खेती कर रहे है। मध्य प्रदेश, उप्र, उत्तराखंड, हरियाणा समेत विभिन्न प्रदेशों के किसान उनके इस मॉडल को देखने पहुंचते हैं। एक सप्ताह पहले ही आस्ट्रेलिया से भी पहुंचे किसानों ने इस मॉडल को देखकर खूब तारीफ की है।

एक हजार किसानों की बना चुके टीम

किसान धर्मपाल पश्चिमी उप्र में छह जिलों सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत, मेरठ, बिजनौर के एक हजार को गोआधारित प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित कर गोआधारित खेती शुरू कराई है। इनकी मंशा है कि पूरे प्रदेश के किसान इसी खेती को अपनाए। किसान सरकार के मोहताज न रहे और खुद अधिक लाभ कमाए। इस खेती से देशी बीज को बढ़ावा मिलेगा।

जल संरक्षण के लिए भी लाभदायक

किसान के मुताबिक, गो आधारित खेती में पानी की बचत होती है। इसमें जल संरक्षण को बढ़ावा मिलता है। वाटर रिचार्ज होता है और नदियां भी इससे ही बच सकेगी। किसानों के प्रोडक्टस जहरमुक्त होंगे और अधिक महंगे भी बिक्री होंगे। इससे उनकी आर्थिक दशा सुधरेगी।

राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाज चुकी सरकार

किसान धर्मपाल ¨सह की लग्नशीलता व मेहनत का नतीजा है कि कृषि में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने 2016 में राष्ट्रीय पुरस्कार दिया। इसके साथ ही 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गृहमंत्री राजनाथ ¨सह भी उन्हें सम्मानित कर चुके है। साल 2016 कृषि मंत्रालय में सलाहकार समिति के सदस्य मनोनीत हो चुके हैं, जबकि आइआइटी दिल्ली का रूरल टैक्नॉलोजी एक्शन ग्रुप के मेंबर भी बनाए गए है। वहीं भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष है।

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