जम्मू से शाहजहांपुर आई बलिदानी की पार्थिव देह, सुबह गांव में होगा अंतिम संस्कार

बलिदानी सारज सिंह की पार्थिव देह को बुधवार शाम सात बजे कैंटोमेंट क्षेत्र में लाया गया। यहां आयुध वस्त्र निर्माणी अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया गया है। गुरुवार को पार्थिव देह उनके गांव ले जाई जाएगी। जहां उनका सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 01:23 AM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 01:23 AM (IST)
जम्मू से शाहजहांपुर आई बलिदानी की पार्थिव देह, सुबह गांव में होगा अंतिम संस्कार
जम्मू से शाहजहांपुर आई बलिदानी की पार्थिव देह, सुबह गांव में होगा अंतिम संस्कार

जेएनएन, शाहजहांपुर : बलिदानी सारज सिंह की पार्थिव देह को बुधवार शाम सात बजे कैंटोमेंट क्षेत्र में लाया गया। यहां आयुध वस्त्र निर्माणी अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया गया है। गुरुवार को पार्थिव देह उनके गांव ले जाई जाएगी। जहां उनका सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा।

सारज सिंह की पार्थिव देह को विमान से जम्मू, वहां से दिल्ली और फिर बरेली के त्रिशूल एयरबेस पर लाया गया। जहां सेना के जवान पहले से मौजूद थे। ताबूत में बंद सारज की पार्थिव देह को पूरे सम्मान के साथ लेकर लगभग तीन बजे वाहन यहां से शहर के लिए रवाना हुए। शाम करीब साढ़े पांच बजे सेना के वाहन ओसीएफ अस्पताल पहुंचे। जहां ताबूत को मोर्चरी में रखवा दिया गया। बंडा के अख्तियारपुर धौकल गांव निवासी सारज सिंह सोमवार को पुंछ में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए थे। उनके साथ एक जेसीओ व तीन अन्य जवान भी बलिदान हुए थे। अधिकारियों ने देखीं व्यवस्थाएं

सारज सिंह की अंत्येष्टि गुरुवार सुबह उनके गांव अख्तियारपुर धौकल में होगी। घर के पास खेत में ही इसके लिए तैयारी की जा रही है। बुधवार को खेत को समतल किया गया। वहां पर टेंट भी लगाया गया है। इसके अलावा लोहे के पाइप से बेरिकेडिग की जा रही है। एक स्थान पर गेट बनाया गया है। सारज के भाई सुखवीर ने बताया कि अंतिम संस्कार के लिए सेना के अधिकारी अपनी निगरानी में व्यवस्थाएं करा रहे हैं। शाम करीब पांच बजे एसडीएम सतीश चंद्रा व सीओ बीएस वीर कुमार भी गांव पहुंचे और सुखवीर से बात की।

सारज सिंह के बलिदान का तीसरा दिन है। जब तक उनकी पार्थिव देह गांव पहुंचती अंधेरा हो जाता। स्वजन ने गुरुवार को अंतिम संस्कार करने की बात कही थी। ऐसे में सैनिक के शव को मोर्चरी में ही सुरक्षित रखा जा सकता था। इसलिए उनके स्वजन की सहमति से यह निर्णय लिया गया।

दिनेश चंद्र मिश्र, जिला पूर्व सैनिक कल्याण अधिकारी

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