गंगा की गोद में बसेगा तंबुओं का शहर

पतित पावनी गंगा की गोद में रहकर कल्पवास के लिए तंबुओं का शहर बसने लगा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 11 Nov 2018 09:03 AM (IST) Updated:Sun, 11 Nov 2018 09:03 AM (IST)
गंगा की गोद में बसेगा तंबुओं का शहर
गंगा की गोद में बसेगा तंबुओं का शहर

जेएनएन, शाहजहांपुर : पतित पावनी गंगा की गोद में रहकर कल्पवास के लिए तंबुओं का शहर बसने लगा है। मिर्जापुर थाना क्षेत्र में गंगा पुल के पास जिला पंचायत प्रशासन ने कार्तिक मेला की तैयारी शुरू करा दी है। अस्थाई सड़क निर्माण के साथ घंटाघर चौक आदि समेत बाजार और खटला के लिए जगह सुरक्षित की जा रही है। 18 तारीख से विधिवत मेला का शुभारंभ होगा। 26 नवंबर तक चलने वाले मेला में लाखों श्रद्धालुओं के आगमन की उम्मीद की जा रही है। ऋषि की तपोस्थली ढाईघाट पर लगने वाले कार्तिक मेला का मुख्य स्नान 23 नवंबर को होगा। जिला पंचायत ने मेला के लिए 6.5 लाख का बजट स्वीकृत किया है। कल्पवासियों का आना शुरू हो गया है। मेला स्थल पर सड़क निर्माण तेजी से चल रहा है। दिनरात मजदूर सड़क बनाने लगे हुए है। मेला प्रभारी व जिला पंचायत के लिपिक तुलसीराम ने बताया की मेला बजट जारी हो गया है । 17 नवंबर को जिला पंचायत की टीम मेला स्थल पर पहुंच जाएगी ।

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जनप्रतिनिधियों के लिए वीआइपी आवास

कार्तिक पूर्णिमा मेला में सांसद, विधायक तथा जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए वीआईपी आवास बनाया जाएगा। अधिकारियों के ठहरने की भी व्यवस्था की गई है। सुरक्षा के लिए थाना बनेगा। स्वच्छता के लिए चार दर्ज सफाई कर्मियों की ड्यूटी लगाई जाएगी।

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कल्पवास से समाप्त हुआ श्रंगी ऋषि के सींग

धार्मिक ग्रंथों में ढाईघाट का महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि श्रंगी ऋषि के सर में सींग थे। चारों धाम पर तप के बाद भी जब ऋषि के सींग समाप्त नही हुए तो उन्होंने ढाईघाट स्थित गंगा तट पर घोर तप किया। कल्पवास के प्रभाव से उनके सींग गायब हो गए। तब से आजतक ढाईघाट गंगा तट कल्पवास व स्नान की महत्ता बरकरार है। यह भी मान्यता है कि गंगा में स्नान के बाद भागीरथी की कपूर से आरती उतारने पर अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।

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