कुलाधिपति की कृपा से साकार हो सकता गन्ना विश्वविद्यालय का सपना

कुलाधिपति व राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के आगमन से जनपद में गन्ना कृषि विश्वविद्यालय की उम्मीद जाग उठी है। जनपद के प्रगतिशील कृषक तेलंगाना व छत्तीसगढ़ की तरह प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक खेती को समर्पित कृषि विद्यालय को जरूरी मान रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 12:23 AM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 12:23 AM (IST)
कुलाधिपति की कृपा से साकार हो सकता गन्ना विश्वविद्यालय का सपना
कुलाधिपति की कृपा से साकार हो सकता गन्ना विश्वविद्यालय का सपना

जेएनएन, शाहजहांपुर : कुलाधिपति व राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के आगमन से जनपद में गन्ना कृषि विश्वविद्यालय की उम्मीद जाग उठी है। जनपद के प्रगतिशील कृषक तेलंगाना व छत्तीसगढ़ की तरह प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक खेती को समर्पित कृषि विद्यालय को जरूरी मान रहे हैं। सिमरा वीरान की 90 एकड़ तथा गन्ना शोध परिषद की 250 एकड़ जमीन को जोड़कर आसानी से जनपद में कृषि विश्वविद्यालय को धरातल पर उतारा जा सकता है।

प्रदेश में मात्र चार कृषि विश्वविद्यालय है। जबकि छत्तीसगढ़ समेत अन्य प्रांतों में संख्या अधिक है। मेरठ से फैजाबाद के बीच करीब 700 किमी की दूरी में कोई भी कृषि विश्वविद्यालय नहीं है। वर्ष 2012 में जागरण ने कृषि विश्वविद्यालय की पहल की। मद्दा शासन तक पहुंचा। उप्र. कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) की टीम ने महानिदेशक डा. चंद्रिका प्रसाद की अगुवाई में टीम ने निरीक्षण भी किया। 50 एकड़ जमीन कम पड़ जाने की वजह से धरातल पर कृषि विश्वविद्यालय नहीं उतर सका। 2014 में उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद को गन्ना कृषि विश्वविद्यालय के रूप में उच्चीकृत बनाने की मांग उठी। लेकिन उचित प्रयास न होने पर मांग परवान नहीं चढ़ सकी। पूर्व केंद्रीय कृषि कल्याण राज्यमंत्री कृष्णाराज ने भी प्रयास किए। गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने गन्ना विश्वविद्यालय को प्रदेश की जरूरत बता चुके है। वर्तमान में परिस्थितियां अनुकूल है। विधायक व नेता प्रतिपक्ष के रूप में विधानसभा में कई बार कृषि विश्वविद्यालय का मुद्दा उठाने वाले सुरेश खन्ना प्रदेश सरकार में संसदीय कार्य, वित्त मंत्री है। किसानों की हमदर्द व गांधी विनोबा के सपनों को साकार करने वाली विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति राज्यपाल आनंदीबेन पटेल विनोबा सेवा आश्रम आ रही है। यदि उचित प्रयास हो तो प्रदेश को गन्ना कृषि विश्वविद्यालय का तोहफा मिल सकता है।

यह जिम्मेदार भी चाहते विश्वविद्यालय

प्रदेश के करीब 47 लाख किसान गन्ना खेती से जुड़े हैं। 119 चीनी मिले भी गन्ना खेती पर निर्भर है। गन्ना कृषि विश्वविद्यालय बनने से गन्ना खेती को नया आयाम मिलेगा। शोध में गति आएगी। गन्ना खेती व शिक्षण के प्रति रुचि बढ़ेगी। यूपीसीएसआर के उच्चीकरण से वैज्ञानिकों की प्रतिभा का बेहतर सदुपयोग हो सकेगा।

डा. ज्योत्स्नेंद्र सिंह, निदेशक, उप्र. गन्ना शोध परिषद प्रदेश में चार कृषि विश्वविद्यालय है। गन्ना कृषि विश्वविद्यालय यदि बनता है तो इससे किसानों के साथ युवाओ को गन्ना में करियर बनाने का मौका मिलेगा। स्वावलंबन में भी गन्ना काफी सहायक साबित होगा। बगास से तमाम उत्पाद बन रहे है। गुड़ उद्योग को भी बल मिलेगा।

डा. खुशीराम, जिला गन्ना अधिकारी

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तेलंगाना में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया गया है। वहां के लिए विशेष पैकेज भी स्वीकृत हुआ है। जनपद में दो हजार किसान पूर्णतया जैविक खेती करते हैं। सिमरा वीरान गोशाला तथा उत्तर प्रदेश शोध परिषद की जमीन को जोड़कर गन्ना विश्वविद्यालय को धरातल पर उतारा जा सकता है। कुलाधिपति की कृपा से बल मिलेगा।

संजय उपाध्याय, राष्ट्रीय कामधेनु पुरस्कार विजेता

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मैंने गन्ने के साथ 21 फसलों का प्रयोग किया। दस बीघा खेती से सौ फीसद जैविक खेती करके छह लाख का शुद्ध लाभ ले रहा हूं। गन्ना कृषि विश्वविद्यालय बनने से वैज्ञानिक नए शोध कर सकेंगे। इससे पूरे देश को फायदा मिलेगा। राज्यपाल के समक्ष यह विश्वविद्यालय का प्रस्ताव रखा जाना चाहिए।

महेंद्र कुमार दुबे, प्रगिशील कृषक

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