स्प्रिंकलर से बचाया जल, संवारा भूजल

गन्ना किसानों के लिए टपक सिचाई विधि (ड्रिप इरीगेशन सिस्टम) खुशहाली समृद्धि का प्रतीक साबित हो रही है। इससे 60 से 70 फीसद पानी की बचत के साथ पैदावार में भी 20 से 50 फीसद तक बढ़ जाती है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Jul 2020 11:59 PM (IST) Updated:Tue, 21 Jul 2020 06:12 AM (IST)
स्प्रिंकलर से बचाया जल, संवारा भूजल
स्प्रिंकलर से बचाया जल, संवारा भूजल

जेएनएन, शाहजहांपुर : गन्ना किसानों के लिए टपक सिचाई विधि (ड्रिप इरीगेशन सिस्टम) खुशहाली समृद्धि का प्रतीक साबित हो रही है। इससे 60 से 70 फीसद पानी की बचत के साथ पैदावार में भी 20 से 50 फीसद तक बढ़ जाती है। ड्रिप व स्प्रिंकलर से उपज वृद्धि कर टिकरी के ह्दयेश कुमार श्रीवास्तव, गुरुगवां के सुखलाल तथा परा के विमल पाल कई किसान सम्मानित भी हो चुके हैं। प्रगतिशील किसानों का मानना है कि समृद्धि, जल संपदा संरक्षण के लिए टपक सिचाई विधि बेहद लाभप्रद है। गन्ना विभाग ने उपयोगिता देख देश में करीब 17 हजार का नेटवर्क बिछा दिया है। इस वर्ष 24 हजार हेक्टेयर से अधिक का लक्ष्य है।

उद्यान विभाग को 128 हेक्टेयर का मिला लक्ष्य

शासन ने जनपद को इस वर्ष 128 हेक्टेयर ड्रिप व स्पिकलर का लक्ष्य दिया है। 90 हेक्टेयर का प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। इसमें ड्रिप 30 हेक्टेयर व स्प्रिंकलर 60 हेक्टेयर है।

गन्ना विभाग दे रहा प्रोत्साहन

ड्रिप व स्पिकलर का सर्वाधिक फायदा गन्ना किसान उठा रहे हैं। जनपद में 500 से ज्यादा किसान आधुनिक सिचाई पद्धति का प्रयोग कर रहे है। इसमें उन्हें 90 फीसद तक अनुदान भी दिया जा रहा है। प्रदेश में इस वर्ष 24978 हेक्टेयर तथा जनपद में 900 हेक्टेयर में ड्रिप इरीगेशन का प्रस्ताव है। गन्ना विभाग की ओर से प्रदेश में चार साल के भीतर ड्रिप इरीगेशन का रकबा हेक्टेयर में व अनुदान लाख रुपये में पर एक नजर

वर्ष : हेक्टेयर - अनुदान

2016- 17 : 600 - 300

2017- 18 : 3375 - 2507

2018- 19 : 3176 - 3712

2019- 20 : 10000 - 6300

2020 - 21 : 24978 - 23600

ड्रिप व स्प्रिंकलर में अनुदान भी मिल रहा है। इस वर्ष 90 हेक्टेयर का प्रस्ताव तैयार किया है। योजना के तहत जुलाई में एससी को 16 लाख, सामान्य वर्ग को 41 लाख 700, अगस्त में एससी वर्ग को 26.05 लाख, सामान्य को 69.89 लाख तथा सितंबर में 28.05 लाख एसपी तथा सामान्य वर्ग के किसानों को 69.08 लाख अनुदान की मांग की गई है।

राघवेंद्र सिंह, डीएचओ ड्रिप इरीगेशन से समय, श्रम के साथ पानी की बचत होती है। फसल लागत में भी आधी कमी आ जाती है। जबकि पैदावार में 20 से 30 फीसद बढ़ जाती है। खरपतवार की समस्या भी दूर हो जाती। एक समान सिचाई से खेत में नमी बनी रहती। मसूर, सरसों आदि सह कसली की उपज पैदावार में भी होगा इजाफा हुआ है।

विमल पाल, प्रगतिशील कृषक ड्रिप इरीगेशन से गन्ना के साथ सहफसली को विशेष फायदा होता है। ड्रिप से प्रति हेक्टेयर करीब दस हजार का सिंचाई खर्च व करोड़ों लीटर बच जाता है। फसल लागत भी घट जाती है। गिरते भूजल स्तर के लिए ड्रिप व स्प्रिंकलर बेहद जरूरी है।

हृदयेश कुमार श्रीवास्तव, टिकरी डिप इरीगेशन पर किसानों को 90 फीसद तक अनुदान दिया जाता है। इससे गन्ना किसानों में ड्रिप इरीगेशन का क्रेज बढ़ा है। इस सिचाई पद्धति से 60 से 70 फीसद तक पानी बचता है।

आरपी यादव अपर गन्ना आयुक्त विकास

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