हर साल बाढ़ में बह रही जनता की उम्मीद

बारिश का मौसम आते ही भले ही गर्मी से परेशान लोग राहत पाते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 12 Apr 2019 12:36 AM (IST) Updated:Fri, 12 Apr 2019 06:15 AM (IST)
हर साल बाढ़ में बह रही जनता की उम्मीद
हर साल बाढ़ में बह रही जनता की उम्मीद

जेएनएन, शाहजहांपु : बारिश का मौसम आते ही भले ही गर्मी से परेशान लोग राहत पाते हैं। किसानों के चेहरे खिल जाते हैं, लेकिन तहसील क्षेत्र के तमाम गांवों के लोग मुसीबत में आ जाते हैं। हर साल आने वाली बाढ़ में क्षेत्र के दर्जनों गांवों का संपर्क ब्लाक व तहसील मुख्यालय से टूट जाता है। कई जगह कटान के कारण संपत्तियों का नुकसान होता है। ग्रामीणों को अपना घर छोड़कर पलायन करना पड़ता है, पर अब तक इससे निजात दिलाने के लिए स्थायी समाधान नहीं हो सके हैं।

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बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले परौर, कीलापुर, कुनिया शाहजनीरपुर, औरंगाबाद आदि गांवों में ठोकरें बनाने के लिए कई बार आंदोलन हुए। चुनावों में मुद्दा जोर शोर से उठा। अधिकारियों ने शासन को पत्र लिखे, जिसके बाद कुंडरिया पर तटबंध बनाने के लिए बजट स्वीकृत हुआ। काम शुरू हो गया, लेकिन अन्य गांवों में ऐसा नहीं है। मिर्जापुर क्षेत्र में रामगंगा की धार मोड़ने के लिए जियो ट्यूब के माध्यम से बांध बनाने की कोशिशें की गईं, लेकिन सफलता नहीं मिली।

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जलालाबाद क्षेत्र में तिकोला गांव के पास से चितरऊ तक पुल बनवाने के लिए कई बार आंदोलन हो चुका है। ग्रामीण बताते हैं कि तिकोला गांव के पास से बहुगल नदी बह रही है। जब बाढ़ आती है तो नदी के दूसरी तरफ स्थित गांवों से संपर्क टूट जाता है। पुल बन जाने से काफी राहत मिलेगी।

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कलान के लक्ष्मणपुर गांव में सोत नदी पर भी पुल बनवाने की मांग को लेकर कई आंदोलन हुए हैं। बताते हैं कि जब बाढ़ आती है तो कंचनपुर, बेहटाजंगल, खालसा, एत्मात्दपुर चक, काछी नगला समेत करीब दो दर्जन गांवों का संपर्क पूरी तरह से कट जाता है।

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