सैनिक का शव घर पहुंचने पर मचा कोहराम

शव गांव आया तो स्वजन में चीख पुकार के साथ कोहराम मच गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 25 Jan 2022 11:20 PM (IST) Updated:Tue, 25 Jan 2022 11:20 PM (IST)
सैनिक का शव घर पहुंचने पर मचा कोहराम
सैनिक का शव घर पहुंचने पर मचा कोहराम

संतकबीर नगर: भारतीय सेना में नागपुर में लांस नायक के पद पर तैनात बखिरा थानाक्षेत्र के बौरब्यास गांव के विवेक राय ने दो दिन पहले आत्महत्या कर लिया। जवान का शव गांव आने पर कोहराम मच गया।

27 वर्षीय विवेक राय पुत्र अखिलेश राय ने 23 जनवरी की सुबह छह बजे आफिसर्स मेस परिसर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। शव गांव आया तो स्वजन में चीख पुकार के साथ कोहराम मच गया। क्षेत्र के कई लोग शामिल होकर सैनिक को श्रद्धांजलि दी। स्वजन का रो-रोकर बुरा हाल है। शव से लिपट कर पत्नी बीना राय और माता शीला देवी रोने लगीं। पत्नी और मां का रोना देखकर पूरे गांव के लोगों की आंखें नम हो गईं। मृतक के बड़े भाई शैलेंद्र भी सेना में हैं। चार वर्ष पहले हुई थी शादी

विवेक की शादी चार वर्ष पूर्व धनघटा थाना क्षेत्र के एक गांव में हुई थी। वह 15 दिन पूर्व गांव आए थे। शादी के बाद एक पुत्र भी पैदा हुआ। वह वर्तमान में तीन वर्ष का है। जिला पंचायत सदस्य विश्वकेतु यादव, राकेश राय, रामफल चौरसिया समेत क्षेत्र के सैकड़ों की संख्या में लोग जवान के स्वजन को समझाने में जुटे रहे। कमजोर व्यक्ति को निरंतर दी जा रही विधिक सहायता

संतकबीर नगर: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रमुख संरक्षक न्यायमूर्ति एनवी रमणा व मुख्य कार्यपालक न्यायमूर्ति उदय रमेश ललित के दिशा-निर्देशन में कमजोर लोगों को विधिक सहायता दी जा रही है। यह कार्य राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा राज्यों के विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त एवं सक्षम विधिक सेवा मिल रही है। प्राधिकरण का प्रयास है कि आर्थिक या किसी भी अन्य कारणों से कोई भी नागरिक न्याय पाने से वंचित न रहे।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव हरिकेश कुमार ने बताया कि जनपद न्यायाधीश लक्ष्मीकांत शुक्ल की अध्यक्षता में लोक अदालत का आयोजन होता है। कानूनी विवादों का सुलह की भावना से न्यायालय के बाहर समाधान करने का, वैकल्पिक विवाद निष्पादन का, अभिनव तथा सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम है। लोक अदालत सरल एवं अनौपचारिक प्रक्रिया अपनाती है। इसमें पक्षकारों को कोई शुल्क नहीं देय होता है तथा न्यायालय में लंबित मामलें का निस्तारण लोक अदालत में होने पर पहले से भुगतान किया गया न्याय शुल्क भी वापस किया जाता है। लोक अदालत का फैसला अंतिम होता है जिसके विरूद्ध अपील नहीं की जा सकती। मामले के निपटारे के पश्चात दोनों पक्ष विजेता होते हैं। इसमें कोई भी पक्ष हारता या जीतता नहीं है। लोक अदालत ने अदालतों का बोझ बड़े पैमाने पर घटाया है। वर्ष 2021 में एक करोड़ पच्चीस लाख से अधिक मामलों का निपटारा कराया गया है।

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