कोविड मरीजों के लिए लाभकारी है चेस्ट फिजियोथैरेपी

जिला अस्पताल के दिव्यांग पुनर्वास केंद्र के फिजियोथैरेपिस्ट डा. बीके चौधरी का जो निरंतर फिजियोथैरेपी के जरिए मरीजों को लाभ पहुंचा रहे हैं। कहा कि कोरोना संक्रमण के कई लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ एक प्रमुख लक्षण है। कोरोना की चपेट में आए मरीजों को निमोनिया का खतरा अधिक हो रहा है जिसकी वजह से उनके फेफड़ों को नुकसान पहुंच रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 20 Jan 2022 10:49 PM (IST) Updated:Thu, 20 Jan 2022 10:49 PM (IST)
कोविड मरीजों के लिए लाभकारी है चेस्ट फिजियोथैरेपी
कोविड मरीजों के लिए लाभकारी है चेस्ट फिजियोथैरेपी

संतकबीर नगर: अगर किसी व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है। अत्यधिक कफ जमा होता है। सर्दियों में उसकी समस्या अधिक बढ़ जाती है। इसके लिए दवा के साथ ही चेस्ट फिजियोथैरेपी देकर समस्या से काफी हद तक निजात पाया जा सकता है। कोविड काल में सांस के मरीजों के लिए भी यह काफी लाभदायक है।

यह कहना है जिला अस्पताल के दिव्यांग पुनर्वास केंद्र के फिजियोथैरेपिस्ट डा. बीके चौधरी का जो निरंतर फिजियोथैरेपी के जरिए मरीजों को लाभ पहुंचा रहे हैं। कहा कि कोरोना संक्रमण के कई लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ एक प्रमुख लक्षण है। कोरोना की चपेट में आए मरीजों को निमोनिया का खतरा अधिक हो रहा है, जिसकी वजह से उनके फेफड़ों को नुकसान पहुंच रहा है। कोरोना से मुक्ति पाने के लिए जितनी दवा की जरूरत है, उतनी ही एक्सरसाइज भी जरूरी है। सांस में दिक्कत वाले मरीजों को चाहिए कि वे फेफड़ों से जुड़ी एक्सरसाइज करें, ताकि सांस की समस्या से छुटकारा पाया जा सकें। सांस लेने में दिक्कत होने वाले मरीजों के लिए चेस्ट फिजियोथेरेपी सबसे बेहतर है। कोरोना से बचाव में दवा के साथ चेस्ट फिजियोथेरेपी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस थेरेपी का सीधा संबंध सांस की प्रक्रिया से है। ऐसे में सभी लोग चेस्ट फिजियोथेरेपी से फेफड़े को और मजबूत कर कोरोना का मुकाबला आसानी से कर सकते हैं। फेफड़ों की सक्रियता को बढ़ाने में चेस्ट फिजियोथेरेपी एक कारगर उपाय है। निमोनिया जैसी स्थिति से लेकर कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए चेस्ट फिजियोथेरेपी बेहद उपयोगी है। इसकी मदद से सांस लेने की क्षमता में सुधार करने में मदद मिलती है। एक ट्रीटमेंट सेशन 20 से 40 मिनट तक चलता है। इस थेरेपी की मदद से फेफड़ों में जमा बलगम और कफ कम किया जा सकता है। इसे एक बार समझा देने के बाद मरीज खुद कर सकता है।

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