वाहनों में हेड व बैक लाइट तक नहीं

सहारनपुर : जनपद की सड़कों पर यूं ही रोज दुर्घटनाएं नहीं हो रही हैं। मौत के तांडव का सच यह है कि अधिकत

By Edited By: Publish:Tue, 01 Sep 2015 11:20 PM (IST) Updated:Tue, 01 Sep 2015 11:20 PM (IST)
वाहनों में हेड व बैक लाइट तक नहीं

सहारनपुर : जनपद की सड़कों पर यूं ही रोज दुर्घटनाएं नहीं हो रही हैं। मौत के तांडव का सच यह है कि अधिकतर वाहन ऐसे हैं जिनमें हेड व बैक लाइट तक नही है, फिर भी उनका संचालन हो रहा है। वाहनों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है पर पिछले एक दशक में सड़कों का आकार नहीं बढ़ा है। परिवहन निगम की भी 20 प्रतिशत से अधिक बसों में बैक लाइट व पार्किग लाइट नहीं है। परिवहन निगम भी यातायात नियमों की अनदेखी कर रहा है। रोडवेज की 98 प्रतिशत बसें कार्यशाला से बिना ओके प्रमाण-पत्र के संचालित कराई जा रही हैं, जिनकी आज तक जांच नहीं की गई है। यातायात माह में परिवहन विभाग, ट्रैफिक पुलिस व व्यापारी संगठन वाहनों पर कलर रिफ्लेक्टर लगाते हैं, लेकिन आम वाहन चालक कभी भी वाहनों पर रिफ्लेक्टर या कलर टेप आदि लगाने की जहमत नहीं उठाना चाहता।

परिवहन विभाग अनुसार हर माह तकरीबन 3 से 4 हजार छोटे-बड़े वाहन परिवहन विभाग में पंजीकृत कराये जाते हैं, जबकि हर वर्ष नए वाहनों की अपेक्षा कंडम हो चुके वाहनों की संख्या 20 प्रतिशत से अधिक नहीं है। यही नहीं आयु पूरी कर चुके वाहनों का फिटनेस आदि के आधार पर पुन: टैक्स आदि जमा करा संचालित करने की छूट दी जाती रही है। इसी कारण ही वाहनों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। वाहनों की फिटनेस आदि की जांच भी खानापूरी होती है तथा हादसों का ग्राफ निरंतर बढ़ता जा रहा है।

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ऐसे बढ़ रही वाहनों की संख्या

पंजीकृत वाहनों की संख्या गत वर्ष की अपेक्षा 30 गुणा हुई है।

- जिले में मल्टी बाडीज वाहन - 861,

- ट्रक - 2826,

- कार - 21712,

-जीप - 427,

-प्राइवेट बस - 213,

- ट्रैक्टर्स - 27337,

- ट्राले- 234,

- थ्री-व्हीलर्स - 2970,

- स्कूटर्स - 35138,

-मोपेड - 11700,

- मोटरसाइकिल -240290

- जिले में कुल वाहनों की संख्या - 345911 है। विगत वर्ष कुल वाहनों में कुल 21 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई थी।

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30 प्रतिशत वाहन फिटनेस बिना संचालित

व्यावसायिक व निजी वाहनों की फिटनेस के मामलों में मात्र खानापूरी होती रही है। ऐसा ही हाल ट्रैक्टर ट्रालियों, जानवरों को ढोने वाले वाहनों आदि का है। दुर्घटनाओं पर रोक को वाहन फिटनेस प्रत्येक वर्ष कराना जरूरी है। वाहन स्वामी दलालों की मार्फत ओके फिटनेस प्रमाण-पत्र हासिल कर लेते हैं इसी कारण जर्जर वाहनों पर नियंत्रण नहीं हो पाता है तथा अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं। वर्तमान में 30 प्रतिशत वाहन यातायात के नियमों के अनुसार संचालित नहीं किए जा रहे हैं। कार, साइकिल, स्कूटर, मोटरसाइकिल, तांगा, बुग्गी व रिक्शा आदि की पड़ताल होती ही नहीं, ऐसी ही स्थिति ट्रैक्टर-ट्रालियों की है, जिनके चालकों तक के डीएल कभी नहीं जांचे जाते हैं।

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नियम विरुद्ध बनाई जा रहीं ट्रालियां

व्हीकल एक्ट के अनुसार जीप व ट्रैक्टर के पीछे बांध कर खींचे जाने वाले दो पहिया ट्राली 5 फुट चौड़ी तथा 6 फुट लंबी दो छोटे टायर जिनका साइज 900.16 के होने चाहिए, लेकिन हो इसके विपरीत रहा है। नियम विरुद्ध ट्रालियां 7 से 8 फुट चौड़ी तथा 20 से 25 फुट लंबी मनचाहे ढंग से बनाई जा रही हैं। कृषि वाहन होने के बावजूद इस व्यावसायिक प्रयोग किया जा रहा है। हालांकि परिवहन विभाग का 4 टायर लगे ट्राले पंजीकृत करने का प्रावधान है, लेकिन ट्रालियों की जांच कभी नहीं की जाती है, जिससे लगातार हादसे हो रहे हैं। सहारनपुर में गत वर्ष तक 27337 ट्रैक्टर व 234 ट्राले परिवहन विभाग में पंजीकृत है, जबकि इनकी तादाद कहीं अधिक है। जिले में ट्रालियां ही 5 हजार से अधिक बताई जाती हैं। अब तो ट्रैक्टर ट्रालियों को किराए पर संचालित करने का कारोबार भी चल निकला है।

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इनका कहना है..

वाहनों का चे¨कग अभियान निरंतर जारी रहता है। फिटनेस में कमी पाए जाने पर अक्सर वाहनों को सीज व जुर्माना किया जाता है।

- डा. विजय बहादुर, आरटीओ

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किसी समय में ट्रकों से सबसे अधिक हादसे होते थे, लेकिन अब सड़क हादसों का सबसे बड़ा कारण अनियंत्रित ट्रैक्टर-ट्रालियां हैं। सवारी वाहन व गुड्स वाहन सरकार को विभिन्न प्रकार के टैक्स आदि अदा करने के साथ चालकों के पास बाकायदा ड्राइ¨वग लाइसेंस होता है। लेकिन ट्रैक्टर-ट्रालियों को कृषि उपकरण बता इसमें छूट दी जाती रही है। यात्री व गुड्स वाहन सेल टैक्स, एक्साइज डयूटी, रोड टैक्स, गुड्स टैक्स, परमिट शुल्क, फिटनेस शुल्क, तथा इंश्योरेंस आदि नियम से जमा कराते हैं, जबकि ट्रैक्टर-ट्रालियों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं रखा गया है। यह स्थिति तब है, जबकि ट्रैक्टर ट्रालियों का खुला व्यावसायिक प्रयोग व किराए पर संचालन किया जा रहा है। इससे हजारों रुपये हर वर्ष शुल्क के रुप में अदा करने वाला ट्रांसपोर्ट व्यवसाय तो बुरी तरह से प्रभावित हो ही रहा, यात्री वाहन भी प्रभावित हैं। - ब्रित चावला, अध्यक्ष- उप्र मोटर ट्रांसपोर्ट फेडरेशन।

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