अक्ल बड़ी या सियासी भैंस?

By Edited By: Publish:Thu, 21 Aug 2014 10:09 PM (IST) Updated:Thu, 21 Aug 2014 10:09 PM (IST)
अक्ल बड़ी या सियासी भैंस?

संजीव जैन, सहारनपुर

दुष्कर्मी बरसों पकड़े नहीं जाएंगे। हत्यारे बरसों हाथ नहीं आएंगे। भ्रष्टाचारी को समय पर अंदर कर नहीं पाएंगे। मुजफ्फरनगर के बाद, सहारनपुर के दंगाई खुलेआम घूमते रहेंगे। लाखों केस पुलिस तहकीकात को तरसते रहेंगे। कभी किसी बात का रोना तो कभी कोई बहाना या दलील। बहाना फोर्स की कमी का भी हो सकता है। जहा मसला आम से जुड़ा हो, खाकी के पास 60 मिनट नहीं। बात खास की हो तो फिर मिल्खा सिंह जैसी खाकी की तेजी। मसला मंत्री आजम खान का हो तो कहने ही क्या? आजम खान की भैंसें एक बार चर्चा पा चुकी हैं, एक बार फिर उनके लिए पंजाब से भैंसे मंगाई गई हैं, जिन्हें बाकायदा सरकारी इंतजाम के साथ रामपुर भेज दिया गया।

बड़े मंत्री की महान भैंसें

करीब छह माह पहले चोरों ने मंत्री आजम खां के साथ गुस्ताखी कर दी। उनकी सात भैंस रात में पार कर दी। पुलिस को सूचना मिली, फिर क्या था,सिपाही से लेकर एसपी तक खोजी कुत्तों को लेकर जुट गए। लोकतंत्र के रजवाड़ों की राजधानी से सारे हाकिम पल-पल की जानकारी जंग की तरह ले रहे थे। ये चोरी किसी त्रासदी से कम नहीं थी। आखिर हनक को चुनौती थी। किसकी मजाल हो गई भला-पता तो चले। पुलिस ने ठान लिया। वो तो सुईं खोज लेती है ये तो भैंस थी, खोज ही निकाली। बुधवार को आजम के करीबी मंत्री सरफराज खान ने पंजाब से उनके लिए चार भैंसे मंगवाई। वीआइपी भैंसो का वीआईपी ट्रीटमेंट भी हुआ। भैंसे पुलिस एस्कोर्ट के साथ आई और उसी तरह गुरूवार की सुबह सहारनपुर से रामपुर के लिए रवाना हुई। खैर, फिलहाल मंत्री जी की भैंस पशुजात में शिरोमणि हो गई हैं?

दंगे की मार, हुकूमत पग-पग पर 'बेजार'

मुजफ्फरनगर दंगे की तरह अब सहारनपुर दंगा सूबे की सरकार के माथे पर बदनुमा दाग से कम नहीं है। मुजफ्फरनगर में पहले सरकार मजहबी आग फैलने से रोकने में विफल साबित हुई तो बाद में दंगा काबू करने में पसीने छूट गए थे। हिंसा के बाद आम से लेकर खास के निशाने पर रही सरकार को पग-पग पर जलील होना पड़ा था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने सरकार की विफलता पर 'मुहर' भी लगा दी। अब सहारनपुर में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। सहारनपुर दंगा हुए करीब एक माह बीतने को है पर अभी तक चल-अचल संपत्ति का नुकसान वाले 200 से अधिक पीड़ितों का मुआवजा नहीं मिला है। सहारनपुर सदर विस सीट के चुनाव के ऐन मौके पर लोनिवि मंत्री शिवपाल यादव ने अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी। इस रिपोर्ट में दंगे का आरोपी भाजपा सांसद को बताया तो सियासत में मानो भूचाल आ गया। अभी तक दलीय नेताओं में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है पर मुजफ्फरनगर की तरह पीड़ितों के आंसू पोंछने के लिए मंत्री आजम खां सहारनपुर नही आए। मुजफ्फरनगर दंगे को लेकर तो उन पर गंभीर आरोप लगे, अब सहारनपुर दंगे को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी के निशाने पर आजम खान है। वाजपेयी आजम पर प्रदेश की 13 वीं नगर निगम के रूप में जन्मी सहारनपुर नगर का चुनाव न कराने का भी आरोप लगा रहे है। बात चाहे जो भी हो पर आजम की गतिविधियां सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी हैं।

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