कोसी में उफान से नदी किनारे खेतों में खराब होने लगीं फसलें

स्वार रामपुर पांच दिन से हो रही बारिश और रामनगर बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण किसानों की फसलें डूब गई हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 11:40 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 11:40 PM (IST)
कोसी में उफान से नदी किनारे खेतों में खराब होने लगीं फसलें
कोसी में उफान से नदी किनारे खेतों में खराब होने लगीं फसलें

स्वार, रामपुर: पांच दिन से हो रही बारिश और रामनगर बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण कोसी नदी उफान पर है। किसान जान जोखिम में डालकर नदी पार से पशुओं का चारा लाने को मजबूर हैं। नदी किनारे खेतों में पानी भर जाने के कारण फसलें नष्ट हो गई हैं। इससे किसानों के चेहरे पर चिता की लकीरें खिच गई हैं।

पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बारिश के चलते उत्तराखंड रामनगर बैराज से रुक-कर हजारों क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। इससे नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ ही नदी में उफान आ गया है। नदी किनारे खतों में लगे पशुओं के चारे एवं फसलें नष्ट होकर रह गई हैं। इससे किसान काफी परेशान हैं। पशु पालक पशुओं के लिए जान जोखिम में डालकर नदी पार से चारा लाने को मजबूर हैं। नदी में तेज बहाव के चलते पानी ने जमीनों का कटान भी शुरु कर दिया है। प्रशासन लगातार बाढ़ संभावित क्षेत्रों का दौरा कर लोगों से सतर्कता बरतने की अपील कर रहा है। नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी किनारे बसे धनौरी, फाजलपुर, बंदरपुरा, पसियापुरा, धनपुर शहादरा, मिलककाजी, समोदिया, सोनकपुर, खेमपुर, अंधापुरी, फरीदपुर, रसूलपुर, बजावाला, इमरता आदि गांव के ग्रामीणों के चेहरे लटक गए हैं। प्रशासन ने भी जलस्तर बढ़ता देख बाढ़ चौकियों पर तैनात कर्मचारियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। एसडीएम यमुनाधर चौहान ने बताया की रामनगर बैराज से आज पानी नही छोड़ा गया है। कोसी नदी अभी भी उफान पर है। बाढ़ चौकियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। चारा नष्ट हो जाने के कारण पशुओं के सामने चारे का संकट उत्पन हो गया है। किसान जान जोखिम में डालकर नदी पार से चारा लाने को मजबूर हैं।

मुहम्मद हसन। किसानों के खेत नदी किनारे हैं। नदी में पानी भी हर वर्ष आता है, जिससे खेत में खडी फसलें नष्ट हो जाती हैं। भारी हानि का सामना करना पड़ता है।

हसनैन अली। रामनगर बैराज से पानी छोडे जाने से कोसी नदी ने उग्र रूप धारण कर लिया है। पानी के तेज बहाव के चलते लकड़ी की बेरीकेडिग व पत्थरों के स्पर बह गए हैं।

रासिद अली। करोड़ों रुपये की लागत से बना बांध अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। सिचाई विभाग के आला अफसर समस्या से लापरवाह बने हैं। बांध पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।

नितिन कुमार।

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