बर्बाद हुए किसान, इनके आंसू पोंछे कौन
आसमान से आफत का लोगो अनिवार्य बोले परेशान हाल किसान हमारी कोई नहीं सुनता साहब
जागरण संवाददाता, रामपुर : किसानों से अब कहां वो मुलाकात करते हैं, बस रोज नए ख्वाबों की बात करते हैं। ओलावृष्टि से बर्बाद हुए किसानों की दशा कुछ ऐसी ही है। उनके कल्याण के लिए बड़ी-बड़ी बातें मंचों से बोली जाती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर पड़ताल की जाए तो परिणाम बदत्तर नजर आते हैं।
जाती सर्दी के मौसम में दखल देती बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि किसानों के लिए आफत बन गई है। खेतों में खड़ी रबी की फसलें चौपट हो गई हैं। इस फसल को लेकर किसान जाने कितने अरमान, कितने सपने संजोए बैठे थे, लेकिन आफत बन कर आसमान से टपके ओलों और बरसात ने उन सब पर पानी फेर दिया। उनकी फसलें बर्बाद हो गईं। इस नुकसान के बाद वे एक बार फिर अपनी किस्मत को कोसते नजर आ रहे हैं। क्षेत्र के तमाम गांवों में ओलावृष्टि ने किसानों पर कहर ढहाया है। इसमें सबसे अधिक नुकसान मिलक और बिलासपुर तहसीलों में हुआ है। कहीं-कहीं तो सारी की सारी फसल ही जमीन पर बिछ गई है। शासन से इसको लेकर अधिकारियों को किसान हित में निर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन उसके बावजूद अधिकारी नुकसान को स्वीकारने को तैयार नहीं हैं।
कृषि विभाग कागजों में केवल 15 प्रतिशत नुकसान ही दिखाया जा रहा है। ऐसे में उन किसानों के तो प्राण ही हलक को आ गए हैं, जिन्होंने कर्ज लेकर फसल बोई थी। एक तरफ तो उनके परिवार में दो जून की रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है, उस पर कर्ज चुकाने की चिता उन्हें खाए जा रही है।
किसानों की जुबानी उनकी दर्द भरी कहानी
हमने चौहद बीघा जमीन में गेहूं की फसल बोई थी। ओला-बारिश में सब खराब हो गई। मकान बनवाना था, सोचा था फसल अच्छी हो जाएगी तो काम शुरू करवाएंगे। इसके साथ ही प्रथमा बैंक का एक लाख रुपये का लोन भी है। अब उसे भी कैसे चुकाएंगे, यह चिता खाए जा रही है। -भानवती, करींगा हमारे ऊपर तो पहाड़ ही टूट पड़ा है साहब। साधन सहकारी समिति से एक लाख 90 हजार रुपये का लोन लिया था। तीन एकड़ जमीन में गेहूं की फसल बोई थी। घर जर्जर पड़ा है, सोचा था उसे भी बनवा लेंगे और लोन भी जमा हो जाएगा। अब सब कुछ तबाह हो गया।
-सोमाल राठौर, पशुपुरा न सरकार किसानों की ओर देखती है साहब, न ही अधिकारी। भारतीय स्टेट बैंक से चालीस हजार रुपये का लोन लिया था। जिसके बाद नौ बीघा खेत में गेहूं की फसल बोई थी। अब फसल अच्छी हो रही थी। खुश थे यह सोच कर कि सब काम हो जाएगा, पर सब खत्म हो गया।
-मेवाराम, नगला उदई बहुत परेशान हैं हम। कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा। बिटिया जवान है। उसकी शादी करनी है। जल्दी ही उसका रिश्ता तय करने वाले थे। नौ बीघा खेत में गेहूं की फसल खड़ी थी। ओलों ने सब खराब कर दी। पचास हजार रुपये का लोन भी जमा करना है। समझ नहीं आ रहा कैसे क्या होगा।
-नरायन देवी, करींगा