22 करोड़ खर्च, फिर भी शुरू नहीं हो सका कस्तूरबा गांधी पक्षी विहार

रामपुर नौका विहार के लिए नैनीताल (उत्तराखंड) जाने वाले पर्यटकों को लुभाने के मकसद से बनाया गया कस्तूरबा गांधी पक्षी विहार।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Jul 2021 11:07 PM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 11:07 PM (IST)
22 करोड़ खर्च, फिर भी शुरू नहीं हो सका कस्तूरबा गांधी पक्षी विहार
22 करोड़ खर्च, फिर भी शुरू नहीं हो सका कस्तूरबा गांधी पक्षी विहार

रामपुर : नौका विहार के लिए नैनीताल (उत्तराखंड) जाने वाले पर्यटकों को लुभाने के मकसद से बना कस्तूरबा गांधी पक्षी विहार अफसरों की सुस्ती के कारण अब तक शुरू नहीं हो सका है। इसके संचालन की जिम्मेदारी नगर पालिका की है। पालिका ने करीब साल भर पहले इसकी कवायद भी की थी, लेकिन वह किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सकी। आरटीआइ में मांगी जानकारी के मुताबिक पालिका के अफसरों ने जल्द इसके शुरू होने की उम्मीद जताई है।

जिले में सपा सरकार में शहर कई बड़े-बड़े काम हुए। बापू माल बनाया गया। सड़कों का निर्माण और चौड़ीकरण कराया गया। गांधी समाधि का सुंदरीकरण किया गया। खिलाड़ियों की प्रतिभा को उभारने के लिए स्पो‌र्ट्स काम्प्लेक्स बनवाया गया। विकास के साथ ही शहर को पर्यटन की दिशा में भी आगे बढ़ाने के लिए बड़े स्तर पर काम हुआ। हर साल देश भर से पर्यटक रामपुर होते हुए नैनीताल जाते हैं। ऐसे में पर्यटन के लिहाज से भी देश भर में रामपुर की पहचान दिलाने के लिए शहर में कस्तूरबा गांधी पक्षी विहार बनाया गया, जिसमें एक खूबसूरत झील और शानदार पार्क भी है। पुलिस लाइन के पास बनी यह झील पर्यटन के लिहाज से काफी अहम है। इसी परिसर में रेस्टोरेंट, पार्किंग आदि का भी पर्याप्त इंतजाम है। झील के चारों ओर हरी घास है। यह प्रोजेक्ट सपा शासन में ही पूरा हो गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रामपुर आकर इसका उद्घाटन भी किया था। लेकिन, कुछ काम बाकी रह गया था। इसके बाद भाजपा की सरकार आ गई और फिर यह शुरू नहीं हो सका। पिछले साल यहां जिलाधिकारी रहे आन्जनेय कुमार सिंह (वर्तमान में मंडलायुक्त मुरादाबाद) के हस्तक्षेप के बाद झील के ताले खुलवा दिए गए और नगर पालिका को झील का संचालन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। नगर पालिका ने 10 साल के लिए झील को निजी कंपनी को आवंटित करने का प्लान बनाया। पिछले साल नगर पालिका बोर्ड की बैठक में यह प्रस्ताव पास भी हो गया था, लेकिन इसके बाद भी अब तक झील के ताले नहीं खुल सके हैं। झील चालू न होने की वजह से पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोग भी मायूस हैं। इस संबंध में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के क्षेत्रीय सेवा प्रमुख पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड फैसल मुमताज ने जन सूचना अधिकार के तहत नगर पालिका से सूचना मांगी। नगर पालिका के जन सूचना अधिकारी ने अपने जवाब में बताया कि झील के निर्माण को मंजूरी वर्ष 2013-14 में मिली थी और इसी वित्त वर्ष में निर्माण भी पूरा हो गया था। इस पर 21.52 करोड़ रुपये खर्च हुए। झील जल्द शुरू कराने के लिए कंपनियों से टेंडर मांगे हैं। स्वीकृति मिलने पर निविदादाता कंपनी द्वारा झील का संचालन शुरू करा दिया जाएगा। हालांकि इसमें अभी कितना समय लगेगा, इस बारे में अफसरों के पास कोई जवाब नहीं है।

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