मुख्यमंत्री तक पहुंची विधवा की पुकार

रामपुर । 'सीएमओ साहब! मेरे बच्चे भूखे सोते हैं'। स्वास्थ्य कर्मी की विधवा द्वारा लगाई यह गुहार मुख्

By Edited By: Publish:Sun, 21 Dec 2014 11:15 PM (IST) Updated:Sun, 21 Dec 2014 11:15 PM (IST)
मुख्यमंत्री तक पहुंची विधवा की पुकार

रामपुर । 'सीएमओ साहब! मेरे बच्चे भूखे सोते हैं'। स्वास्थ्य कर्मी की विधवा द्वारा लगाई यह गुहार मुख्यमंत्री के कानों तक भी पहुंच गई है। पति की मौत के बाद पांच साल से नौकरी और बीमे की रकम पाने को भटक रही महिला के मामले में मुख्यमंत्री के विशेष सचिव ने जिलाधिकारी को जांच कर कार्रवाई के लिए लिखा है। मामला मुख्यमंत्री की जानकारी होने पर जिलाधिकारी ने इसे गंभीरता से लेकर सीएमओ को तीन दिन में आख्या देने के निर्देश दिए, मगर विभागीय अधिकारियों का दिल अब भी नहीं पसीज रहा। अधिकारी एक-दूसरे पर टाल रहे हैं।

विभागीय उदासीनता का यह मामला स्वास्थ्य विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रहे मनोज कुमार से जुड़ा है। 11 जनवरी 2010 को उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद विभाग ने उसके परिवार की सुध नहीं ली। कर्मचारी के परिवार में उसकी पत्‍‌नी और तीन बच्चे हैं। विभाग द्वारा पति की मौत के पांच साल बाद भी पत्‍‌नी को नौकरी नहीं मिली और न ही बीमा आदि की रकम। इससे परिवार के सामने दो वक्त की रोटी के लाले पड़ गए हैं। 14 नवंबर को महिला अपने बच्चों को लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी से मिली। बताया कि पति की मौत के बाद बच्चों का पेट भरने के लिए उसे दूसरों के घरों में काम करना पड़ रहा है। पिछले कुछ दिनों से काम नहीं मिला। इससे बच्चे भूखे सो रहे हैं। महिला ने इंसाफ के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के बाहर धरना भी दिया। इस समाचार को दैनिक जागरण ने 'सीएमओ साहब! मेरे बच्चे भूखे सोते हैं' शीर्षक के साथ प्रमुखता से प्रकाशित किया था। खबर की कटिंग के साथ ही मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा। मुख्यमंत्री के विशेष सचिव ने इस संबंध में जिलाधिकारी को जांच कराकर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने सीएमओ को तीन दिन में आख्या देने को कहा। सीएमओ ने गेंद जिला मलेरिया अधिकारी के पाले में डाल दी। जिला मलेरिया अधिकारी ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि चतुर्थ श्रेणी की नियुक्ति और उनके देयों के भुगतान के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी ही अधिकृत हैं। विभाग के टालमटोल रवैये से स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों में आक्रोश है। उत्तर प्रदेशीय चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी महासंघ और राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने महिला को इंसाफ न मिलने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।

विभाग ने करीब आठ साल पहले 52 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति की थी, जिन पर रोक लग गई थी। रोक से पहले नियुक्ति पत्र दिए जा चुके थे। इस पर सभी कर्मचारी हाईकोर्ट चले गए। मनोज भी इन्हीं 52 कर्मचारियों में शामिल था। ये कर्मचारी काम तो कर रहे हैं, लेकिन इन्हें न तो स्थायी किया है और न ही इनकी सर्विस बुक बनी है। हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद ही इन कर्मचारियों के संबंध में विभाग निर्णय लेगा।

-डॉ.आलोक कुमार मिश्रा, सीएमओ।

chat bot
आपका साथी