'सत्ता के दबाव में डीएम और जिला प्रशासन'

रायबरेली जिला प्रशासन और जिलाधिकारी सत्ता के दबाव में है। पुलिस भी इन्हीं के इशारों पर

By JagranEdited By: Publish:Sun, 21 Apr 2019 12:30 AM (IST) Updated:Sun, 21 Apr 2019 12:30 AM (IST)
'सत्ता के दबाव में डीएम और जिला प्रशासन'
'सत्ता के दबाव में डीएम और जिला प्रशासन'

रायबरेली : 'जिला प्रशासन और जिलाधिकारी सत्ता के दबाव में है। पुलिस भी इन्हीं के इशारों पर नाच रही है। जिला पंचायत की कुर्सी बचाने के लिए मनमानी की जा रही है। यह सब सिर्फ भाजपा प्रत्याशी के चुनाव को लेकर हो रहा है।' यही बात जिपं सदस्य सदस्य चीख-चीख कर कलेक्ट्रेट में कह रहे थे, जिन्हें पुलिस और प्रशासन की दुत्कार झेलनी पड़ी।

जिला पंचायत सदस्य चंद्र राज पटेल, वीरेंद्र यादव, अनुज सिंह समेत 31 डीडीसी शनिवार को अविश्वास प्रस्ताव के लिए सत्यापन कराने पहुंचे थे। इन्होंने जिला प्रशासन पर मनमानी के आरोप लगाए। इनका कहना था कि सारे अविश्वास जताने वाले सदस्य अब भी अपनी बात पर कायम हैं। वे कह रहे थे कि एक-एक सदस्य साथ आए हैं प्रशासन उनकी गिनती करा ले, वीडियो बना ले। आक्रोशित सदस्यों ने साफ कहा कि गलत तरीके से प्रस्ताव को खारिज किया गया। यह सब सिर्फ लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के इशारे पर हुआ। क्योंकि जिला पंचायत अध्यक्ष उनके परिवार का है। इसी तरह के अन्य कई आरोप भी डीडीसी सदस्यों ने प्रशासन पर मढ़े। कलेक्ट्रेट पहुंचे लोकसभा चुनाव में पर्चा भरने वाले पूर्व विधायक सुरेंद्र बहादुर सिंह भी प्रशासन पर हमलावर दिखे। उन्होंने कहा कि भाजपा का प्रत्याशी घोषित होने के पहले यही प्रशासन चाहता था कि जिला पंचायत में अविश्वास प्रस्ताव आए, मगर वही अफसर जिपं सदस्यों के भारी अविश्वास के बावजूद कुर्सी बचाने में जुटे हैं।

प्रशासन के पास नहीं था कोई जवाब

करीब तीन घंटे तक चले इस हंगामे में एक चीज थी जो प्रशासन को सवालों के घेरे में लाकर खड़ी कर रही थी। वह बात यह थी कि जब पूरे 31 सदस्यों के होने का दावा किया जा रहा था तो प्रशासन ने सत्यापन क्यों नहीं कराया। यही नहीं उन नौ सदस्यों के नामों को सार्वजनिक करने से अफसर कतराते रहे, जिनको आधार बनाकर जिलाधिकारी ने इस अविश्वास प्रस्ताव की हवा निकाल दी थी। पुलिस हो या प्रशासन के अधिकारी, सभी सिर्फ सदस्यों पर दबाव बनाते दिखे। उनके सवालों के जवाब किसी के पास नहीं थे।

chat bot
आपका साथी