आरडीए की भूमि पर कब्जा, एफआइआर न कार्रवाई

रायबरेली इसे सुस्त सरकारी कार्यप्रणाली कहें या जिम्मेदारों की हीलाहवाली। आरडीए की जम

By JagranEdited By: Publish:Fri, 12 Apr 2019 12:54 AM (IST) Updated:Fri, 12 Apr 2019 06:14 AM (IST)
आरडीए की भूमि पर कब्जा, एफआइआर न कार्रवाई
आरडीए की भूमि पर कब्जा, एफआइआर न कार्रवाई

रायबरेली : इसे सुस्त सरकारी कार्यप्रणाली कहें या जिम्मेदारों की हीलाहवाली। आरडीए की जमीन पर पांच दिन पहले कब्जे की कोशिश हुई। तीन दिन पहले आरडीए ने मिल एरिया एसओ को एफआइआर के लिए पत्र लिखा, मगर अब तक न एफआइआर हुई न कोई जांच करने मौके पर पहुंचा। इस बिगड़ी हुई व्यवस्था में नुकसान उस आवंटी का हो रहा है, जिसे आरडीए ने मोटी रकम लेकर जमीन बेची थी।

रायबरेली विकास प्राधिकरण ने शहर से सटे अख्तियार पुर में एकता विहार कॉलोनी के लिए भूमि अधिग्रहण किया था। तमाम लोगों को भूखंडों का आवंटन भी कर दिया गया। यहां भूखंड खरीदने वालों में घंटाघर के विवेकानंद त्रिपाठी और इंदिरा नगर के रामशरण सिंह भी शामिल थे। विवेकानंद के भूखंड की कीमत 51 लाख है, जबकि रामशरण के भूखंड का मूल्य तकरीबन 40 लाख है। विवेकानंद से 28 लाख रुपये आरडीए वसूल चुका है। इसी तरह रामशरण से भी लाखों रुपये आरडीए जमा करा चुका है।

बताते हैं कि बीती छह अप्रैल को छजलापुर के निवासी हरिकृष्ण शुक्ल ने इन दोनों आवंटियों की जमीन कब्जा शुरू कर दिया। नींव के लिए जमीन में गड्ढा बना लिया। इसका पता चलने पर विवेकानंद ने सूचना आरडीए को दी। आरडीए के सचिव एके राय ने आठ अप्रैल को मिल एरिया एसओ को पत्र लिखकर एफआइआर दर्ज करने के लिए कहा। मगर, अब तक न एफआइआर हुई न कोई जांच करने पहुंचा। उधर, एसओ राकेश यादव का कहना है कि आरडीए का कोई पत्र नहीं मिला है। हो सकता है डाक में आया हो। इस बारे में पता लगाया जाएगा।

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