कासिम था नाम बागे हसन की बहार का..

संसू, ऊंचाहार (रायबरेली) : एक रात के दूल्हे का पहले बेरहमी से कत्ल फिर उनकी लाश को

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 Sep 2018 07:12 PM (IST) Updated:Tue, 18 Sep 2018 07:12 PM (IST)
कासिम था नाम बागे हसन की बहार का..
कासिम था नाम बागे हसन की बहार का..

संसू, ऊंचाहार (रायबरेली) : एक रात के दूल्हे का पहले बेरहमी से कत्ल फिर उनकी लाश को घोड़ों की टापों से रौंदना, जालिम की क्रूरता को बयां करता है। इस विभत्स मंजर को देखकर किसी की भी रूह कांप जाए लेकिन हुसैन का ईजुसैन ईमान नहीं डिगा और वह उसूलों के लिए लड़ते रहे। यह बात मंगलवार को मजलिस में कही गयी।

मुहर्रम का सातवां दिन हजरत इमाम हुसैन के भतीजे कासिम की याद में मनाया जाता है। कासिम की एक दिन पहले शादी हुई थी। दूसरे दिन उनका कत्ल करके उनके शव को घोड़ों की टापों से रौंदा गया था। इसलिए सातवीं मुहर्रम का जुलूस मेंहदी के जुलूस के रूप में निकाला जाता है। मंगलवार को सातवीं मुहर्रम की शुरुआत सुबह 11 बजे बड़े इमाम बाड़े में मजलिस से हुई। इसका आगाज ओवैस नकवी के मर्सिये-कासिम था नाम बागे हसन की बहार का, एक फूल था जो घोड़ों की टापों में आ गया से हुआ। यहां पर मजलिस में कर्बला में शहीद हुए कासिम के बारे में बताया गया। उसके बाद मेंहदी के जुलूस की शुरुआत हुई। जैसे ही जुलूस शुरू हुआ असगर मुस्तफाबादी ने पढ़ा कि कासिम कर्बला को सजाते रहे हुसैन अपने हसन को दूल्हा बनाते रहे हुसैन। उनके साथ आरिफ हुसैन, आदिल नकवी और इमरान नकवी ने नौहाख्वानी की। मौलाना अब्बास मेंहदी के साथ शाजू नकवी ने भी मातम किया। इस जुलूस में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। जुलूस के रास्तों में जगह-जगह पर लंगर का भी लोगों ने आयोजन किया गया था। इसमें असरफ हुसैन असद, शानू नकवी व मो अनस ने व्यवस्था संभाली। मंगलवार सुबह करीब 11 बजे शुरू हुआ मेंहदी का जुलूस अपने पुराने रास्तों से होते हुए शाम करीब 5 बजे इमाम चौक पहुंचा। वहां पर मौलाना हसनैन मुस्तफाबादी की तकरीर हुई। इसमें उन्होंने सभी धर्मो के प्रति मोहब्बत रखने के हुसैन के पैगाम को रखा। इस अवसर पर फैजान नकवी, हसन मेंहदी, हादी हसन, जॉन हैदर, बासु नकवी, साहिब नकवी सहित हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे। जुलूस से पहले सीओ विनीत ¨सह ने जुलूस के रास्तों का निरीक्षण किया और सुरक्षा व्यवस्था देखी।

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