आइईएस पहला पड़ाव, आइएएस बनना 'सूर्य' का लक्ष्य..

जासं, रायबरेली : मेधा के धनी बैसवारा के लाल सूर्यकांत मिश्र ने आइईएस की परीक्षा में 32वीं रै

By JagranEdited By: Publish:Sat, 10 Nov 2018 11:06 PM (IST) Updated:Sat, 10 Nov 2018 11:06 PM (IST)
आइईएस पहला पड़ाव, आइएएस बनना 'सूर्य' का लक्ष्य..
आइईएस पहला पड़ाव, आइएएस बनना 'सूर्य' का लक्ष्य..

जासं, रायबरेली : मेधा के धनी बैसवारा के लाल सूर्यकांत मिश्र ने आइईएस की परीक्षा में 32वीं रैंक हासिल कर जिले के गौरव में चार चांद लगा दिए हैं। आइआइटी दिल्ली से बीटेक करने के बाद पहले इसरो फिर ओएनजीसी में नौकरी मिलने के बावजूद वे अपने लक्ष्य के प्रति अडिग हैं। उनका कहना है कि आइईएस तो पहला पड़ाव है। आइएएस बनकर राष्ट्र सेवा में अपना योगदान देना चाहते हैं।

मूलरूप से सरेनी के पूरे गोपालपुर मजरे बेनीमाधव गंज निवासी अशोक मिश्र की शहर में आटो पा‌र्ट्स की दुकान है। वे बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए वर्ष 1995-96 में रायबरेली शहर आकर बस गए। यहीं उन्होंने अपनी तीन बेटियों अंजली, अंशिका, आरती और सबसे छोटे बेटे सूर्य को शिक्षा दिलाई। सूर्य ने दसवीं में 90 (2011), 12वीं में 92.6 (2013) फीसद अंक प्राप्त किए। फिर वे एक साल की तैयारी के लिए कोटा चले गए और आइआइटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी की। पहली बार में ही उन्हें आइआइटी दिल्ली में प्रवेश मिल गया। मई 2018 में इलेक्ट्रिकल्स से बीटेक की पढ़ाई पूरी की। पहले सूर्यकांत ने दो माह इसरो में नौकरी की। फिर सितंबर में उनका सेलेक्शन ओएनजीसी में हो गया। मौजूदा समय में वे मुंबई में नौकरी कर रहे हैं। आइएएस बनना लक्ष्य

बैसवारा के लाल ने बताया कि वे आइएएस बनना चाहते हैं। इसके लिए वे तैयारी कर रहे हैं। फिलहाल वे आइईएस में ज्वाइन करेंगे लेकिन उनकी तैयारी जारी रहेगी। बाबा और चाचा भी आइएएस

सूर्यकांत के पिता अशोक ने बताया कि उनके चचेरे बाबा श्याम सुंदर मिश्र और चाचा विजय शंकर मिश्र आइएएस रह चुके हैं। उन्हीं की प्रेरणा का असर है कि सभी बच्चे पढ़ने में अव्वल हैं। सूर्य को आइईएस में सफलता मिली है। बड़ी बेटी अंजली एमए, बीएड व अंशिका एमएससी, बीएड करके शहर के प्रतिष्ठित स्कूलों में पढ़ा रही हैं। अंशिका को रसायन विज्ञान से एमएससी में टॉप करने पर कानपुर विवि में गोल्ड मेडल भी मिला है। छोटी बेटी आरती बीटेक करने के बाद बीटीसी कर रही है।

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