'मुझे नहीं मिले फावड़े, गैंती और बेल्चा'

रायबरेली, जागरण संवाददाता: अयोध्या विवादित ढांचा विध्वंस मामले में 51वें गवाह अखिलानंद मिश्रा ने शनि

By Edited By: Publish:Sat, 20 Dec 2014 09:24 PM (IST) Updated:Sat, 20 Dec 2014 09:24 PM (IST)
'मुझे नहीं मिले फावड़े, गैंती और बेल्चा'

रायबरेली, जागरण संवाददाता: अयोध्या विवादित ढांचा विध्वंस मामले में 51वें गवाह अखिलानंद मिश्रा ने शनिवार को अपनी गवाही में कहा कि उन्हें विवेचना के दौरान मौके पर जाने पर गैंती, फावड़ा बेल्चा नहीं मिला था। लोगों के घायल होने के बारे में जानकारी मिली थी, लेकिन उनसे मिलने अस्पताल नहीं गए थे, क्योंकि यह सब उनके मुकदमे के विवेचना का अंग नहीं था। मामले की सुनवाई कर रहे अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गोपाल तिवारी ने अगला गवाह पेश करने के लिए 3 जनवरी 2015 की तिथि नियत की है।

अखिलानन्द मिश्रा दिसंबर 1992 को सीबीआई लखनऊ में निरीक्षक के पद पर तैनात थे। उन्होने ढांचा विध्वंस मामले की विवेचना की थी। बचाव पक्ष की ओर से विहिप के अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षक अशोक सिंघल के अधिवक्ता विमल श्रीवास्तव ने जिरह की। जिरह में मुख्य विवेचक ने बताया कि 6 दिसम्बर 1992 को ढांचा विध्वंस मामले से सम्बन्धित थाना रामजन्मभूमि में दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 198 सन 1992 धारा 153ए, 153बी, 505, 147, 149 आईपीसी की ही विवेचना की थी। अन्य मुकदमों से उनका कोई सरोकार नही है। 6 दिसंबर 1992 को कहां कहां लाउडस्पीकर लगे थे इसकी जानकारी गवाहों से नहीं ली गई। निरीक्षण आख्या में हवन पूजन स्थल का उल्लेख नहीं है। सरयू से जो एक-एक मुट्ठी बालू कारसेवक लाए थे, वह कहां रखी गई इसे मैं नहीं जानता। 6 दिसम्बर 1992 की अयोध्या रामजन्मभूमि मे हुई घटना से सम्बन्धित कई मुकदमे दर्ज हुए जिनकी जानकारी है। कितने मुकदमों में फैसला हुआ और कितने लोग बरी हुए इसकी जानकारी नहीं है। विवेचक ने बताया कि जिन गवाहों के बयान लिए थे उसका जिक्र सीडी मे है। आईपीएस अधिकारी अन्जू गुप्ता द्वारा न्यायालय में दिए गए बयान के सम्बन्ध में विवेचक ने बताया कि अंजू गुप्ता ने विनय कटियार की मौजूदगी का बयान दिया था लेकिन यह नही बताया कि वह भीड़ से कह रहे थे कि यहां से वापस न जाइए क्योंकि यहां भीड़ की आवश्यकता है। गवाही के दौरान सीबीआई की ओर से शासकीय अधिवक्ता पूर्णेन्द्र चक्रवर्ती मौजूद रहे।

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