साबरमती में श्रमिकों को लेना पड़ा टिकट, दलालों ने भी वसूला

गुजरात से स्पेशल ट्रेन से आए श्रमिकों को गुजरात के साबरमती जंक्शन पर काउंटर से टिकट लेना पड़ा।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 06 May 2020 10:53 PM (IST) Updated:Thu, 07 May 2020 06:06 AM (IST)
साबरमती में श्रमिकों को लेना पड़ा टिकट, दलालों ने भी वसूला
साबरमती में श्रमिकों को लेना पड़ा टिकट, दलालों ने भी वसूला

जासं, प्रतापगढ़ : गुजरात से स्पेशल ट्रेन से आए श्रमिकों को गुजरात के साबरमती जंक्शन पर काउंटर से टिकट लेना पड़ा। वहीं ज्यादा भीड़ के कारण जो श्रमिक लाइन में काफी पीछे खड़े थे, उनसे वहां के दलालों ने टिकट के पैसे के साथ-साथ सौ से डेढ़ सौ रुपये भी वसूले।

प्रतापगढ़ जंक्शन में साबरमती से ट्रेन बुधवार की शाम पांच बजे पहुंची थी। सभी बोगियों को बाहर से बंद कराने के बाद एक-एक बोगी से श्रमिकों को उतारने की कवायद शुरू हुई। करीब डेढ़ घंटे तक इनकी जांच होती रही और फिर एक-एक कर श्रमिक बस में बैठने लगे। इसमें से दैनिक जागरण टीम से कइयों ने बताया कि साबरमती जंक्शन पर उनसे प्रिट किराए से सौ रुपये अधिक लिए गए। गुजरात के साबरमती रेलवे स्टेशन से आई स्पेशल ट्रेन पर सवार कई श्रमिक इस बात से रोष में थे कि उन्हें यहां तक आने के लिए टिकट लेना पड़ा। इसी में से देवरिया के मजनू कुमार ने जागरण से बताया कि साबरमती जंक्शन पर एक दलाल ने प्रतापगढ़ तक का टिकट दिया। उस पर यहां तक का किराया 615 अंकित था, जबकि दलाल द्वारा उसे यह टिकट 715 में दिया गया। वहीं मीरजापुर के रहने वाले श्रमिक मोहनलाल ने भी यही दर्द बयां किया। उसने भी बताया कि दलाल ने उससे कहा टिकट ले लो नहीं तो ट्रेन चली जाएगी। उसने हड़बड़ी में टिकट ले लिया। यही टिकट उसे साढ़े सात सौ रुपये में मिला। इसी तरह मुसीबत में फंसे कई श्रमिकों ने दलालों से टिकट ले लिया। बताया कि साबरमती जंक्शन पर जिस बुकिग विडो पर टिकट मिल रहा था, वहां पर लंबी लाइन थी। घर पहुंचना था, दलालों ने उनके जैसे कई श्रमिकों से ज्यादा पैसा वसूल कर टिकट दिया। यहां पहुंचने पर कई श्रमिकों ने अपने टिकट दिखाते हुए अधिक पैसे लिए जाने की बात बताकर नाराजगी भी जाहिर की। सभी ने यही कहा कि वह अपने क्षेत्र के सांसद, विधायक से इसकी शिकायत करेंगे। हालांकि इस बारे में स्थानीय स्तर पर रेलवे के अधिकारी कुछ कहने से बचते रहे। प्रतापगढ़ स्टेशन अधीक्षक अनिल दुबे का कहना था कि श्रमिक अलग-अलग बातें बता रहे थे। इस बारे में वह कुछ कह नहीं सकते।

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