रेलवे जंक्शन की सूरत बदलने का काम अब तक अधूरा

रेलवे जंक्शन प्रतापगढ़ की तस्वीर बदलने के लिए दो साल से चल रही योजना पूरी नहीं हो सकी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 12:27 AM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 06:00 AM (IST)
रेलवे जंक्शन की सूरत बदलने का काम अब तक अधूरा
रेलवे जंक्शन की सूरत बदलने का काम अब तक अधूरा

प्रतापगढ़ : रेलवे जंक्शन प्रतापगढ़ की तस्वीर बदलने के लिए दो साल से चल रही योजना पूरी नहीं हो सकी। जगह-जगह बिखरा मलबा इस बात को बता रहा है कि दावे अभी हकीकत की पटरी पर नहीं आए हैं। कमाई में ए श्रेणी का होने के बावजूद यह जंक्शन बदहाल है।

पूरे जिले में यही एक स्टेशन है जो देखने लायक व बड़ा है। इन दिनों तो ट्रेन संचालन बंद है, पर आम दिनों में इधर से 22 जोड़ी गाड़ियों का संचालन होता है। रात-दिन व्यस्त रहने वाले इस जंक्शन की तस्वीर बदलने के लिए 2017 में केंद्र सरकार ने 1250 करोड़ का मेगा प्रोजेक्ट मंजूर किया। इसमें सई नदी पर नया रेल पुल, दो नए प्लेटफार्म, वाशिग लाइन, विद्युत चलित सीढ़ी, स्टील की बेंच, वाटर वेडिग मशीन, सीसीटीवी कैमरे, नया वेटिग हाल, प्लेटफार्म की नई फर्श, दीवारों का नवीनीकरण, नया एनाउंस सिस्टम और लाइन दोहरीकरण का काम होना था। इनमें से ऐसा कोई काम नहीं है, जिसे पूरा कहा जा सके। लॉकडाउन खत्म हो जाने के बाद भी अधिकांश काम अधूरे हैं, कई तो बंद हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है बजट का ना आना। एक्सईएन निर्माण लखनऊ मंडल राकेश कुमार का कहना है कि बजट की डिमांड की गई है। जल्दी ही कार्यदाई संस्था को पैसा मिल जाएगा।

पुराने टेंडर पर ही कार्य

रेलवे स्टेशन के काम में देरी की एक वजह संबंधित ठेकेदार का असमय बीमारी के चलते निधन हो जाना भी रहा। यह बात करीब आठ माह पुरानी है। इसके बाद रेलवे ने नए सिरे से टेंडर कराने की बात कही। बाद में इसमें अधिक समय लगने के चलते यह विचार बदल दिया गया। अब रेलवे ने उसी एजेंसी को पुराने टेंडर पर ही काम करने को कहा है। ठेकेदार नया लगाया जाएगा।

पुल निर्माण रुका

सई नदी में बेल्हा देवी धाम के पास पुराने रेल पुल के बगल नया पुल बनने का काम रुक गया है। बिजली विभाग ने पुल के बगल से बिना मंजूरी के चिलबिला की ओर खींची गई हाईटेंशन लाइन को अब तक नहीं हटाया है। बजट की कमी के अलावा काम बंद होने का यह भी एक कारण है।

प्लेटफार्म पर फैला मलबा

पिछले कुछ दिनों से बीच-बीच में प्लेटफार्म पर फर्श का काम होने लगता है, फिर थम जाता है। प्लेटफार्म दो व तीन पर हर ओर मलबा ही फैला हुआ है। अगर रेल संचालन बहाल हो जाए तो यात्रियों को पैर रखने की सही सलामत जगह न मिले।

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