जिले में हो सकेगा टेढ़े-मेढ़े पैर वाले मासूमों का इलाज
बहुत से बच्चे पैदा होते हैं तो उनका पैर टेढ़ा-मेढ़ा होता है। वह अपने पैरों पर ठीक से चल नहीं पाते। ऐसे बच्चों को लेकर इलाज के लिए उनके घर वाले महानगरों में भटकते थे। अब वह इससे बच सकेंगे। ऐसे बच्चों का इलाज जिला अस्पताल में हो सकेगा।
जासं, प्रतापगढ़ : बहुत से बच्चे पैदा होते हैं तो उनका पैर टेढ़ा-मेढ़ा होता है। वह अपने पैरों पर ठीक से चल नहीं पाते। ऐसे बच्चों को लेकर इलाज के लिए उनके घर वाले महानगरों में भटकते थे। अब वह इससे बच सकेंगे। ऐसे बच्चों का इलाज जिला अस्पताल में हो सकेगा।
दरअसल जन्म से टेढ़े-मेढ़े पैर वाले बच्चे सीटीईवी (कानमेंटल टेलियंस इक्वीनों वायरस) से ग्रस्त होते हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य अभियान के अंतर्गत जिले में अब नई सुविधा मिलेगी। इसकी औपचारिक शुरूआत हो गई है। जन्मजात टेढ़े पैरों का इलाज कराने को दिल्ली, वाराणसी, प्रयागराज या लखनऊ नहीं जाना होगा। जिला अस्पताल के डॉक्टरों को पोनसिटी विधि का प्रशिक्षण देकर उनसे ही बच्चों का आपरेशन कराया जाएगा। अब तक आरबीएसके टीम क्षेत्र में भ्रमण के दौरान ऐसे बच्चों को पाती थी तो उन्हें लेकर प्रयागराज, लखनऊ जाती थी। इलाज में समय लगता था। घर के लोग परेशान होते थे। अब बस्ती के ट्रेनर डॉ. दिलीप गुप्ता ने जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. पीपी पांडेय, डॉ. अवनीश, सौरभ, भूपेश सिंह, प्रोग्राम मैनेजर अंकिता श्रीवास्तव, डॉ. प्रमोद विश्वकर्मा और आनंद यादव को जन्मजात टेढ़े मेढ़े पैरों वालें बच्चों के इलाज के लिए प्रशिक्षण दिया। प्रोग्राम मैनेजर अंकिता श्रीवास्तव का कहना है कि इस जिले में अब तक करीब 95 बच्चे इस तरह के पाए गए हैं। उनका ऑपरेशन करके और प्लास्टर के माध्यम से पैरों को ठीक किया जाएगा। इसके बाद मुफ्त में उन्हें स्पेशल जूता दिया जाएगा। दो दिन पहले प्रयोग के तौर पर जिला अस्पताल में छह बच्चों का इलाज शुरू भी कर दिया गया। इनमें जौनपुर के डेढ़ साल के अनुराग, प्रतापगढ़ के आरुष शर्मा, प्रयागराज की रूद्राक्षी तिवारी, रानीगंज शिवगढ़ के आदर्श गौतम आदि मासूम रहे। सीएमएस डॉ. पीपी पांडेय बताते हैं कि आरबीएसके टीम पांच साल तक के ऐसे बच्चों के मिलने पर हर शनिवार को जिला अस्पताल लाएगी। यहां उनका इलाज किया जाएगा।