पूर्व शासकीय अधिवक्ता के बेटे की डेंगू से मौत

शहर समेत पूरे जिले में वायरल बुखार और डेंगू का प्रकोप थम नहीं रहा है। पूर्व शासकीय अधिवक्ता का पुत्र भी अचानक डेंगू से पीड़ित हो गया। उसे गंभीर हालत में यहां एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां इलाज में लापरवाही बरते जाने से उसकी हालत और बिगड़ गई। तब परिजन उसे आनन फानन बरेली के एक बड़े प्राइवेट अस्पताल में लेकर पहुंचे लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Oct 2019 07:06 PM (IST) Updated:Mon, 21 Oct 2019 07:06 PM (IST)
पूर्व शासकीय अधिवक्ता के बेटे की डेंगू से मौत
पूर्व शासकीय अधिवक्ता के बेटे की डेंगू से मौत

जागरण संवाददाता, पीलीभीत : शहर समेत पूरे जिले में वायरल बुखार और डेंगू का प्रकोप थम नहीं रहा है। पूर्व शासकीय अधिवक्ता का पुत्र भी अचानक डेंगू से पीड़ित हो गया। उसे गंभीर हालत में यहां एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज में लापरवाही बरते जाने से उसकी हालत और बिगड़ गई। तब परिजन उसे आनन फानन बरेली के एक बड़े प्राइवेट अस्पताल में लेकर पहुंचे लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। जैसे ही उसकी मौत की जानकारी हुई तो वकीलों, व्यापारियों तथा अन्य लोगों का उनके आवास पर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। जवान बेटे की मौत से परिवार को गहरा सदमा पहुंचा है।

शहर के मुहल्ला खुशीमल निवासी अधिवक्ता सुनील दीक्षित लंबे समय तक शासकीय अधिवक्ता भी रहे हैं। तीन दिन पहले उनके बेटे शिवम दीक्षित (23) को तेज बुखार आया। जांच कराने पर पता चला कि उसे डेंगू हो गया है। इस पर परिजनों ने उसे स्टेडियम रोड स्थित डॉ. जेएन मिश्र के निजी अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज शुरू हो जाने के बाद भी उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। शिवम के मामा बरेली जिले के फरीदपुर निवासी राजीव कुमार ने बताया कि रविवार की रात करीब एक बजे अस्पताल में उनके भांजे की तबियत अचानक बिगड़ गई। उस समय अस्पताल का स्टाफ सोया हुआ था। जैसे तैसे एक कंपाउंडर को जगाया और उसे मरीज की हालत के बारे में बताते हुए डॉक्टर को बुलाने के लिए कहा। इस पर कंपाउंडर ने स्पष्ट कह दिया कि डॉक्टर साहब तो अब सुबह ही मिलेंगे। वह चलकर देख लेता है। कंपाउंडर ने मरीज को एक गोली खाने के लिए दी। गोली निगलते ही शिवम को उल्टी हो गई। तब सभी लोग घबरा गए। जैसे तैसे रात कटी, इसके बाद सुबह होते ही मरीज को रेफर कराकर उच्च स्तरीय इलाज के लिए ले जाना चाहा। अस्पताल का पूरा बिल अदा कर देने के बाद भी डिस्चार्ज स्लिप के लिए काफी देर तक डॉक्टर का इंतजार करना पड़ा। वह आए, तब अपने मरीज को रेफर कराकर बरेली के एक बड़े अस्पताल में ले गए लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। वहां चिकित्सक शिवम को बचा नहीं सके। उधर, संबंधित चिकित्सक का पक्ष जानने के लिए कई बार मोबाइल फोन पर प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की। अधिवक्ता सुनील दीक्षित को लगा गहरा सदमा

पूर्व शासकीय अधिवक्ता के दो बेटे थे। बड़ा बेटा निशांत दीक्षित भारतीय स्टेट बैंक में कार्यरत है जबकि छोटा बेटा शिवम शहर के रंगीलाल चौराहा पर अपनी मार्केट में बिजनेस कर रहा था। डेंगू की चपेट में आने से पहले तक वह पूरी तरह स्वस्थ था। डेंगू से पीड़ति होकर अचानक जवान बेटे की मौत हो जाने से पिता को गहरा सदमा लगा है। वह गुमसुम से एक ओर कुर्सी पर बैठ गए। साथी अधिवक्ता एवं अन्य परिचित लोग उन्हें ढांढस बंधाने का प्रयास करते रहे।

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