56 साल बाद जगी मालिकाना हक की आस

नानक सागर बांध परियोजना के तहत सितारगंज के देवीपुरा गांव से विस्थापित होकर आए परिवारों का सत्यापन तीसरे दिन भी जारी रहा। नायब तहसीलदार विस्थापित परिवारों का साक्ष्य जुटाने में जुट गए हैं। उपजिलाधिकारी और तहसीलदार के नेतृत्व में बमनपुर भगीरथ में सत्यापन का कार्य किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 29 Jul 2020 11:04 PM (IST) Updated:Wed, 29 Jul 2020 11:04 PM (IST)
56 साल बाद जगी मालिकाना हक की आस
56 साल बाद जगी मालिकाना हक की आस

पीलीभीत,जेएनएन : नानक सागर बांध परियोजना के तहत सितारगंज के देवीपुरा गांव से विस्थापित होकर आए परिवारों का सत्यापन तीसरे दिन भी जारी रहा। नायब तहसीलदार विस्थापित परिवारों का साक्ष्य जुटाने में जुट गए हैं। उपजिलाधिकारी और तहसीलदार के नेतृत्व में बमनपुर भगीरथ में सत्यापन का कार्य किया जा रहा है।

विस्थापित परिवारों को सन् 1962 में नेपाल बार्डर क्षेत्र के गांव टाटरगंज, बमनपुरी भगीरथ में जमीन देकर बसा दिया गया था। सरकार ने वन विभाग की जमीन को इन परिवारों के नाम से ट्रांसफर नहीं कराया। इस कारण यह विस्थापित परिवार जमीन के मालिक होते हुए भी मालिकाना हक से वंचित हैं। कभी पुलिस विभाग तो कभी वन विभाग के प्रताड़ना के शिकार भी होते रहते हैं। जमीन वन विभाग से ट्रांसफर न कराने के कारण मालिकाना हक की लड़ाई लड़ते लड़ते इन्हें वर्षों बीत गए हैं। अब सरकार ने मालिकाना हक देने के लिए जमीन और परिवारों का सत्यापन शुरू कर दिया है। उप जिला अधिकारी राजेंद्र प्रसाद एवं तहसीलदार विजय कुमार त्रिवेदी के नेतृत्व में राजस्व टीम ग्रामीणों की सूची का सत्यापन कार्य कर रही है। एसडीएम ने बताया कि नानक सागर बांध परियोजना से विस्थापित होकर आए परिवारों की सूची बनाकर उनका सत्यापन कार्य किया जा रहा है। जिन बुजुर्गों के नाम से जमीन थी और उनकी मौत हो चुकी है उनके वारिसों के नाम सूची में शामिल किए जा रहे हैं। कई वर्षों बाद ग्रामीणों को मालिकाना हक मिलने की आस जगने से विस्थापित परिवारों में खुशी की लहर भी देखी जा रही है। कई लोग ज्यादा जोते हैं जमीन

कई विस्थापित परिवार ऐसे भी हैं जिनकी नानक सागर बांध परियोजना में जमीन कम अधिग्रहित की गई थी मगर वह यहां पर अधिक जमीन जोत रहे हैं। ऐसे किसानों की जमीनों पर तहसील प्रशासन की कैंची भी चल सकती है। सत्यापन कार्य के दौरान बमनपुरी भागीरथ ग्राम प्रधान गुरुदेव सिंह, बैल्हा ग्राम प्रधान मनजिदर कौर के पति अमरीक सिंह, टाटरगंज ग्राम प्रधान कुलवंत सिंह सहित अन्य तमाम लोग मौजूद रहे। अमरजीत सिंह ने लड़ी लंबी लड़ाई

नानक सागर बांध परियोजना के तहत वर्ष 1961 में देवीपुरा गांव के सैकड़ों परिवारों की जमीन अधिग्रहित कर नेपाल सीमावर्ती गांव टाटरगंज एवं बमनपुरी भगीरथ में लाकर बसा तो दिया गया लेकिन मालिकाना हक नहीं मिला। इन विस्थापित परिवारों को भूमि पर मालिकाना हक दिलाने के लिए अमरजीत सिंह बेदी करीब 56 वर्षों तक लड़ाई लड़ते रहे। मगर सरकारी मशीनरी के आगे नतमस्तक होकर घर बैठ गए। कई लोगों ने भी इस लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी।

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