पंद्रह दिनों में दस बंदरों की रहस्यमय मौत

पिछले 15 दिनों से 10 बंदरों की मौत हो चुकी है। प्रथम ²ष्टया केमिकल प्वाइजनिग से बंदरों की मौत होने की आशंका जताई जा रही है इसको लेकर विभाग संजीदा नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 23 Feb 2020 11:14 PM (IST) Updated:Sun, 23 Feb 2020 11:14 PM (IST)
पंद्रह दिनों में दस बंदरों की रहस्यमय मौत
पंद्रह दिनों में दस बंदरों की रहस्यमय मौत

संवाद सहयोगी, पूरनपुर (पीलीभीत) : पिछले 15 दिनों से 10 बंदरों की मौत हो चुकी है। प्रथम ²ष्टया केमिकल प्वाइजनिग से बंदरों की मौत होने की आशंका जताई जा रही है, इसको लेकर विभाग संजीदा नहीं है। अभी भी कई बंदरों की हालत खराब है। एक बंदर को सोशल फॉरेस्ट कार्यालय में उपचार के लिए रखा गया है। सूचना पर डिप्टी रेंजर ने पहुंचकर मुआयना किया और बंदरों की देखरेख के लिए तीन सदस्यीय टीम को गठित किया है।

पिछले कुछ दिनों से नगर के रेलवे स्टेशन और लाइनपार के मुहल्ला साहूकारा में बंदरों की असमय मौत होने का मामला प्रकाश में आया है। अचानक बंदरों की मौत शुरू होने से आस्था रखने वाले लोगों में काफी रोष है। बंदरों की मौत के पीछे उन्हें जहर देने की भी आशंका जताई जा रही है। लाइनपार निवासी मंगू पांडे ने बताया कि पिछले 15 दिनों में 10 बंदरों की मौत हो चुकी है। एक बंदर की हालत खराब होने पर उन्होंने शनिवार को पशु अस्पताल के डाक्टर को सूचना दी थी जिस पर एक कर्मचारी पहुंचा था और उसने बंदर का उपचार किया। इसके बाद अस्पताल से कोई भी कर्मचारी नहीं पहुंचा। बंदरों की मौत का सिलसिला जारी है। अब तक वह दस बंदरों का वह अंतिम संस्कार कर चुके हैं। शनिवार को सूचना पर सोशल फारेस्ट के डिप्टी रेंजर मोहम्मद अयूब पहुंचे थे जिन्होंने कर्मचारी की मदद से एक बंदर को कब्जे में लिया और उसे रेंज कार्यालय लेकर पहुंचे जहां उपचार किया जा रहा है। उन्होंने मुआयना कर बंदरों की देखरेख के लिए तीन सदस्य टीम गठित की है जो लगातार उन पर निगरानी रखेगी। जिस भी बंदर की हालत खराब पाई जाएगी उसका तत्काल उपचार कराया जाएगा। चकराकर पेड़ से गिर रहे

मंगू पांडेय ने बताया कि अचानक बंदर बेहोश होकर पेड़ से नीचे गिर जाते हैं। कुछ बंदर पेड़ पर झूमते रहते हैं। एक बंदर का का वह उपचार करा चुके हैं। एक ही दिन पशु अस्पताल का कर्मचारी उपचार करने को पहुंचा लेकिन दोबारा से वह नहीं आया। उपचार के दौरान प्रथम द़ृष्टया केमिकल प्वाइजनिग का सेवन बंदरों में पाया गया है, इसलिए वह झूमते रहते हैं। वन विभाग ने जिन बंदरों को पकड़ा उनका उपचार कर किया गया जिनकी हालत में सुधार भी हो रहा है। यह केमिकल रेलवे स्टेशन के पास पुताई आदि के पानी के सेवन से होने की आशंका है। वन विभाग जैसे ही बंदरों को पकड़ेगा फिर से उनका उपचार किया जाएगा।

डॉ. राजीव मिश्र,उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी पूरनपुर बंदरों की मौत की सूचना शनिवार की रात मिली थी जिस पर वह टीम के साथ पहुंचे थे। एक बंदर की हालत खराब होने पर उसे रेंज कार्यालय में रखा गया है जिसका उपचार कराया जा रहा है। तीन सदस्य टीम गठित कर दी गई है जो लगातार बंदरों की निगरानी कर रही है। मामले की सूचना पशु अस्पताल प्रशासन को भी दे दी गई है।

-मोहम्मद अयूब,डिप्टी रेंजर

सामाजिक वानिकी पूरनपुर

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