वट पूजन कर मांगा अक्षय सुहाग

वट सावित्री व्रत के अवसर पर इस बार लॉकडाउन के चलते तमाम सुहागिनों ने घरों पर ही टहनी को वट वृक्ष का प्रतीक मानकर विधि-विधान से पूजन किया। ज्यादातर मंदिर बंद रहे लेकिन टनकपुर हाईवे स्थित संतोषी माता मंदिर व टीवी टॉवर के सामने ब्रह्मदेव स्थल पर लगे वृट वृक्ष का पूजन करने भी अनेक सुहागिनें पहुंचीं। सभी ने अपने चेहरे पर मास्क लगा रखा था।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 May 2020 11:04 PM (IST) Updated:Fri, 22 May 2020 11:04 PM (IST)
वट पूजन कर मांगा अक्षय सुहाग
वट पूजन कर मांगा अक्षय सुहाग

जेएनएन, पीलीभीत : वट सावित्री व्रत के अवसर पर इस बार लॉकडाउन के चलते तमाम सुहागिनों ने घरों पर ही टहनी को वट वृक्ष का प्रतीक मानकर विधि-विधान से पूजन किया। ज्यादातर मंदिर बंद रहे लेकिन टनकपुर हाईवे स्थित संतोषी माता मंदिर व टीवी टॉवर के सामने ब्रह्मदेव स्थल पर लगे वृट वृक्ष का पूजन करने भी अनेक सुहागिनें पहुंचीं। सभी ने अपने चेहरे पर मास्क लगा रखा था। साथ ही पूजन और वृक्ष की परिक्रमा के दौरान आपस में शारीरिक दूरी बनाए रखने के नियम का पालन किया। सुहागिनों ने अक्षय सुहाग के साथ ही परिवार की सुख-शांति और देश को कोरोना से मुक्त करने की प्रार्थना की।

शुक्रवार को सुबह से ही पुलिस की गाड़ी भ्रमण करने लगी। साथ ही एनाउसमेंट किया गया कि कोई भी मंदिर में पूजन करने न जाए बल्कि सुहागिनें घरों मे ही पूजन करें। ज्यादातर मंदिर पहले से ही बंद चल रहे हैं। सिद्धपीठ यशवंतरी देवी मंदिर परिसर में लगे वट वृक्ष का पूजन करने के लिए वैसे तो हर साल सैकड़ों सुहागिनें यहां पहुंचती रही हैं। ऐसे में पूरे दिन मेला लगा रहता रहा है लेकिन इस बार कोरोना जैसी महामारी के कारण लागू लॉकडाउन की वजह से मंदिरों में भीड़ एकत्र न हो, इसके लिए उन्हें बंद कराया जा चुका है। तमाम सुहागिनों ने लॉकडाउन का पालन करते हुए घरों मे टहनी मंगवा ली। उसे ही वट वृक्ष का प्रतीक मानकर परंपरागत ढंग से पूजन किया।

बीसलपुर: सुहागिन महिलाओं ने विधि विधान से पूजन किया। शुक्रवार को सुबह से ही इस व्रत को लेकर सुहागिनों में काफी उत्साह दिखाई दिया। सुहागिनों ने उपवास रखकर वट सावित्री व्रत की कथा का पाठ किया। साथ ही वटवृक्ष का पूजन किया। लाकडाउन होने के कारण अधिकांश अधिकतर सुहागिनों ने घरों मे ही पूजन किया। प्राचीन गुलेश्वर नाथ बाबा मंदिर परिसर स्थित वटवृक्ष पास पूजन करने के लिए कुछ सुहागिनें पहुंचीं।

जमुनियां खास: तहसील कलीनगर क्षेत्र के गांव जमुनियां खास में प्राचीन परंपरागत महिलाओं ने वट पूजन किया। सुबह से ही महिलाएं हाथ में पूजा सामग्री की थाली लेकर कई दशक पुराने वट के वृक्ष के पास पहुंचने लगी थीं। पूजन का क्रम सुबह से शाम तक चलता रहा। धार्मिक मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य के लिए की जाती है।

पहली बार ऐसा संकटकाल आया है जो वट सावित्री व्रत जैसे महत्वपूर्ण त्योहार पर मंदिर बंद हैं। वैसे तो यह व्रत लंबे समय से रखती चली आ रही हूं लेकिन इस बार का अनुभव अलग रहा। यह हमेशा याद रहेगा।

सरला त्रिवेदी

मेरा तो यह पहला व्रत है। पहले व्रत में ही नया अनुभव हुआ है। पिछले साल हुई शादी के बाद सोचा था कि पहली बार वट सावित्री व्रत रखने और पूजन का अवसर मिलेगा, सबका साथ होगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

प्रियांशी

पिछले साल तो मंदिर परिसर में लगे वट वृक्ष का पूजन किया था लेकिन इस बार घर पर ही टहनी को प्रतीक मान लिया। उसी की पूजा करके अपनी परंपरा का निर्वाह किया है। कोरोना से बचाव के लिए यह आवश्यक है।

सुधा

कोरोना के कारण समाज में बहुत कुछ बदला है। ऐसे में वट सावित्री व्रत का तौर तरीका भी बदलना पड़ा लेकिन इससे आस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ता। आज के माहौल में समूह में एकत्र होना नुकसानदेह हो सकता था।

पूनम गौड़

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