बीसलपुर में रामलीला मेला होने की उम्मीद क्षीण
बीसलपुर नगर में रामलीला मेला लगभग 120 साल पुराना है। रामलीला मेला का ऐतिहासिक महत्व है। यही वजह है कि बरेली मंडल में रामलीला मेला की अलग पहचान है। यहां राम की लीलाओं का मंचन एक विशाल भूखंड पर किया जाता है।
पीलीभीत,जेएनएन : बीसलपुर नगर में रामलीला मेला लगभग 120 साल पुराना है। रामलीला मेला का ऐतिहासिक महत्व है। यही वजह है कि बरेली मंडल में रामलीला मेला की अलग पहचान है। यहां राम की लीलाओं का मंचन एक विशाल भूखंड पर किया जाता है। इस भूखंड पर अयोध्या नगरी, शिव कुटी, भरत कुटी, अशोक वाटिका, लंका के विशाल एवं भव्य भवन लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इन भवनों में प्राचीन काल की शिल्पकारी दूर से ही झलकती है। नगर में रामलीला मेला का आयोजन महाश्य खुन्नी लाल ने 20वीं सदी में शुरू कराया था। इस मेला का आयोजन महाभारत काल में पांडवों की ओर से भगवान शिव मंदिर गुलेश्वर नाथ की स्थापना की गई। इस मंदिर के पास ही मेले का आयोजन किया जाता है। 20वीं सदी में बाग के मध्य एक छोटे मेला का आयोजन मेला कमेटी बनाकर शुरू किया गया। धीरे-धीरे मेला का आकार बढ़ता गया और यह मेला विकसित हो गया। इस मेले ने अपना वृहद रूप धारण करना शुरू कर दिया। मेले में आसपास के व्यापारी अपनी दुकान लेकर भी आने लगे। मेला ग्राउंड के चारों ओर कमेटी के लोगों ने जनसहयोग से लोहे का जाल बनवा लिया जो मेला प्रारंभ होते ही ग्राउंड के चारों ओर कस दिया जाता था। सुरक्षा के लिए अस्थाई कोतवाली बनाई जाती है। इधर, कोविड-19 के चलते इस वर्ष मेला सम्पन्न नहीं हो सकेगा। श्रीराम लीला कमेटी के अध्यक्ष गंगाधर दुबे का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण पूरे देश में मेलों समेत अन्य सार्वजनिक आयोजनों पर सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है। इस कारण इस वर्ष मेला का आयोजन होना संभव नहीं है। मेला कमेटी के व्यवस्थापक वीरेंद्र लोहिया का कहना है कि मेला मंडल में अपनी अलग ख्याति रखता है। इस मेले में क्षेत्रीय दुकानदार तो आते ही हैं साथ ही उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से दरी, कालीन, सहारानुपर की नक्काशी का सामान सहित कई दुकाने वर्ष भर में एक ही मेले में आती हैं। इंतजार पूरे वर्ष क्षेत्रवासी करते हैं। रामलीला कमेटी प्रबंधक गोपाल कृष्ण अग्रवाल का कहना है इस बार कोरोना वैश्विक महामारी के चलते रामलीला का मंचन हो पाना संभव नहीं लग रहा है।