रमनगरा क्षेत्र में तबाही के नहीं भरे जख्म

शारदा नदी की बाढ़ का दंश जिस तरह से हजारा क्षेत्र के लोगों ने झेला ठीक उसी तरह से नेपाल बार्डर क्षेत्र के लोगों ने भी झेला है। यहां भी शारदा ने कई गांवों और हजारों एकड़ कृषि भूमि का निशान मिटा दिया है। कटान पीड़ितों को दोबारा से आवासीय और कृषि योग पट्टे किए गए वह भी नदी ने काटकर अपने आगोश में ले लिए।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Jul 2020 12:39 AM (IST) Updated:Wed, 01 Jul 2020 12:39 AM (IST)
रमनगरा क्षेत्र में तबाही के नहीं भरे जख्म
रमनगरा क्षेत्र में तबाही के नहीं भरे जख्म

जेएनएन, पूरनपुर : शारदा नदी की बाढ़ का दंश जिस तरह से हजारा क्षेत्र के लोगों ने झेला ठीक उसी तरह से नेपाल बार्डर क्षेत्र के लोगों ने भी झेला है। यहां भी शारदा ने कई गांवों और हजारों एकड़ कृषि भूमि का निशान मिटा दिया है। कटान पीड़ितों को दोबारा से आवासीय और कृषि योग पट्टे किए गए वह भी नदी ने काटकर अपने आगोश में ले लिए। वर्तमान समय में सैकड़ों लोग शारदा सागर डैम की तलहटी के वर्जित क्षेत्र में रहकर मजदूरी, दिहाड़ी आदि की जीवन यापन कर रहे हैं। इन्हें अभी तक आवासीय भूमि भी नहीं मिल सकी है।

नदी ने यहां वर्ष 1990 से तबाही मचानी शुरू की। सबसे पहले गांव गुन्हान को अपनी आगोश में लेकर उसका नामोनिशान मिटा दिया। गांव को कटाने के साथ ही यहां के ग्रामीणों की कृषि योग्य भूमि भी नदी ने काट दी। धीरे धीरे नदी हर वर्ष भारी तबाही मचाने लगी। नदी ने इसके बाद बिजौरिया खुर्दकलां गांव को काट दिया। रमनगरा और धुरिया पलिया का अधिकांश हिस्सा शारदा ने काट दिया। नौजल्हा से लेकर धुरिया पलिया तक शारदा ने हजारों एकड़ कृषि भूमि भी काट दी। शुरू में जिन गांवों को नदी ने काटा वहां के लोगों को प्रशासन की तरफ से आवासीय और कृषि योग्य पट्टे किए गए। शारदा ने पट्टे की भूमि को भी काटकर उसका वजूद मिटा दिया। नदी में सबकुछ गंवाने के बाद यहां के बाशिदों को रहने तक के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी। कहीं भी इन लोगों को आवासीय जगह न मिल पाने के कारण यहां के बाशिदे शारदा सागर डैम की तलहटी के वर्जित क्षेत्र में रहने को मजबूर हैं। सिचाई विभाग की तरफ से इन लोगों को कई बार जमीन खाली कराने के लिए नोटिस भी दिया जा चुका है। समय-समय पर इन लोगों को हड़काया भी जाता है। जमीन, घर नदी में समाने के बाद यह लोग बेरोजगार भी हो गए हैं। अधिकांश लोग दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। साथ ही अन्य प्रदेशों में जाकर मेहनत मजदूरी कर घर की गाड़ी को खींच रहे हैं। वर्जित क्षेत्र में रहने के कारण इन लोगों को आवास, शौचालय आदि की सुविधा भी नहीं मिल पा रही है। ग्रामीण प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का मुंह ताक रहे हैं।

आवास और शौचालय का लाभ खंड विकास अधिकारी की तरफ से दिया जा रहा है। कटान पीड़ितों के पट्टे के लिए भूमि तलाश की गई। जमीन जो खाली पड़ी है वह सिचाई और वन विभाग की है। डैम के वर्जित क्षेत्र में रह रहे लोगों के लिए शीघ्र ही जमीन तलाश की जाएगी।

-रामदास, उपजिलाधिकारी कलीनगर शारदा नदी ने कटान कर यहां के लोगों को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। कटान पीड़ित आज भी बदहाली को लेकर परेशान हैं। आवासीय पट्टे वाली जमीन भी शारदा काट चुकी हैं। इसके चलते लोग जान जोखिम में डालकर रहने को मजबूर हैं।

आजम अंसारी

नदी ने घर, जमीन काट दिया। रोजी रोटी के साथ रहने का भी संकट खड़ा हो गया। आवासीय जमीन भी नहीं मिली जिसके चलते शारदा सागर डैम के वर्जित क्षेत्र में घास फूस की झोपड़ी बनाकर रहना पड़ रहा है। इस ध्यान दिया जाना चाहिए।

खोखन विश्वास

कटान पीड़ितों ने नदी की तबाही झेलने के साथ ही रोजगार की समस्या भी झेली है। खेती न होने से दिहाड़ी, मजदूर कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। युवाओं को काम के सिलसिले में अन्य प्रदेशों में भी जाना पड़ रहा है।

रतन मंडल

शारदा सागर डैम के वर्जित क्षेत्र में रहने से सिचाई विभाग नोटिस देकर हड़काता रहता है। डैम की तलहटी में रहने से हर समय खतरा भी बना रहता है। जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारियों को इसपर ध्यान देकर समस्या हल करानी चाहिए।

रमेश राहा

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