शिक्षा व्यवस्था में होना चाहिए परिवर्तन

पीलीभीत : पुराने जमाने में इतनी संख्या में स्कूल-कॉलेज नहीं थे लेकिन, जितने भी थे, उनमें पढ़ने

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Dec 2017 10:28 PM (IST) Updated:Mon, 18 Dec 2017 10:28 PM (IST)
शिक्षा व्यवस्था में होना चाहिए परिवर्तन
शिक्षा व्यवस्था में होना चाहिए परिवर्तन

पीलीभीत : पुराने जमाने में इतनी संख्या में स्कूल-कॉलेज नहीं थे लेकिन, जितने भी थे, उनमें पढ़ने वाले शिक्षा के साथ ही संस्कार भी ग्रहण करते थे। आज की शिक्षा व्यवसायिक हो गई है। जो जितना ज्यादा खर्च कर सकता है, वह अपने बच्चों को उतने ही अच्छे स्कूल में पढ़ा सकता है। गरीब परिवारों के बच्चों के लिए सरकारी स्कूल हैं, जहां पढ़ाई नाममात्र को ही होती है। हालांकि, सरकार इन स्कूलों पर भारी खर्च उठा रही लेकिन, शैक्षिक माहौल नहीं बन पा रहा है। ऐसे में सरकार को शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन करना चाहिए।

शिक्षा का मिले समान अधिकार

स्कूल चाहे सरकारी हो या प्राइवेट, बच्चों को दोनों जगह समान शिक्षा मिलनी चाहिए। इससे बच्चों में हीन भावना नहीं आएगी। पहले स्कूलों में हर हफ्ते बाल सभा का आयोजन किया जाता था। इसमें बच्चों के अंदर छिपी प्रतिभा को सामने लाने के प्रयास होते थे। पढ़ाई के साथ ही अध्यापक बच्चों में नैतिक गुणों का विकास करने, उन्हें संस्कारवान बनाने में अपनी ऊर्जा खर्च करते थे लेकिन आज के दौरान में तो महंगे प्राइवेट स्कूलों में भी ये कार्य नहीं हो रहे हैं।

बच्चों को बनाएं जिम्मेदार

बच्चे देश का भविष्य होते हैं। ऐसे में उनके अंदर देश और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना का विकास स्कूल से ही होना चाहिए। जरूरत संसाधनों के सदुपयोग की होनी चाहिए। पहले लोग बस या ट्रेन में किसी बुजुर्ग या असहाय व्यक्ति को खड़ा देखते तो आदर के साथ उसे सीट पर बिठाने की व्यवस्था कर देते। आज स्थिति उलट है। यह संस्कारों की कमी की वजह से ही है। बच्चे संस्कारित होंगे तो उन्हें अपनी जिम्मेदारी का हरदम अहसास रहेगा।

महिलाएं असुरक्षित

महिलाओं के प्रति पुराने जमाने में लोगों में आदर का भाव रहता था। आज के दौर में इतनी प्रगति होने के बावजूद तमाम लोगों को नजरिया नकारात्मक ही नजर आता है। अकेली महिला का कहीं जाना-आना खतरे से खाली नहीं समझा जाता। पहले यह बात नहीं थी।

कृष्ण गोपाल सक्सेना, कृष्ण विहार कॉलोनी, पीलीभीत

युवा पीढ़ी को बनाएं नशामुक्त

आज युवा पीढ़ी तेजी से नशे की गिरफ्त में जा रही है। यह समाज के लिए ¨चता का विषय है। ऐसे में सरकार के साथ ही सामाजिक संगठनों की भी यह जिम्मेदारी होनी चाहिए कि नौजवानों को नशे के प्रति जागरूक करें। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि देश को आगे ले जाने में युवाओं की भूमिका सबसे महत्वपर्ण होती है। ऐसे में युवा ही भटकेंगे तो देश कहां जाएगा। उनमें देश के प्रति प्रेम की भावना बढ़ाने वाले संस्कार डाले जाएं।

युवाओं की दूर हो बेरोजगारी

यह भी सच है, आज के युवा की सबसे बड़ी समस्या रोजगार है। पढ़ाई पूरी करने के बाद बड़ी संख्या में युवा रोजगार की तलाश में भटकते हैं। इसी दौरान गलत संगत में भी कई बार पड़ जाते हैं। इससे सिर्फ उस युवा का ही नुकसान नहीं होता बल्कि पूरे समाज का होता है। हालांकि, सरकार की ओर से कौशल विकास के कार्यक्रम शुरू किए गए हैं लेकिन, इनका संचालन और बेहतर तरीके से किया जाना चाहिए। कौशल विकास के बाद युवाओं को रोजगार दिलाने की जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए। अगर ऐसा हो जाए तो देश तेजी से प्रगति करेगा।

नजीर बनें नेता

साथ ही राजनीतिक नेताओं का सार्वजनिक जीवन भी युवाओं के लिए प्रेरणादायी होना चाहिए। अभी तक तमाम ऐसे नेता हैं, जिनसे युवाओं को कोई प्रेरणा नहीं मिलती। ऐसे नेता सिर्फ अपने फायदा के लिए राजनीति करते हैं। समाज के लिए कोई उदाहरण प्रस्तुत नहीं कर पाते। राजनीति में शुचिता लाने के प्रयास होने चाहिए।

वतनदीप मिश्र, सभासद वार्ड 15नगर पालिका परिषद पीलीभीत

chat bot
आपका साथी