भाजपा के लिए चुनौती बना बरखेड़ा का बखेड़ा

पीलीभीत : पिछले चुनाव में हार के बावजूद संगठन के साथ ही समाज में सक्रिय रहे जयद्रथ उर्फ स्वामी प्रवक

By Edited By: Publish:Sun, 22 Jan 2017 09:46 PM (IST) Updated:Sun, 22 Jan 2017 09:46 PM (IST)
भाजपा के लिए चुनौती बना बरखेड़ा का बखेड़ा
भाजपा के लिए चुनौती बना बरखेड़ा का बखेड़ा

पीलीभीत : पिछले चुनाव में हार के बावजूद संगठन के साथ ही समाज में सक्रिय रहे जयद्रथ उर्फ स्वामी प्रवक्तानंद का इस बार भी टिकट सबसे पक्का माना जा रहा था। भाजपा से जब उनका टिकट कटा तो स्वामी फफक कर रो पड़े। इसके बाद पूरे इलाके में उनके प्रति सहानुभूति की लहर नजर आने लगी। आखिरकार उन्होंने निर्दल चुनाव लड़ने का एलान कर दिया, इसके बाद भी भाजपा की ओर से डैमेज कंट्रोल के प्रयास नहीं हुए। अंतत: उन्होंने भाजपा को बॉय-बॉय कर रालोद से पर्चा दाखिल कर दिया।

स्वामी ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत वर्ष 2009 में की। उसी साल वह भाजपा प्रत्याशी वरुण गांधी के निकट आए और पार्टी में शामिल हुए। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें बरखेड़ा सीट से प्रत्याशी बनाया था। सपा की लहर के बावजूद वह बसपा, कांग्रेस को पीछे छोड़ते हुए दूसरे नंबर पर रहे। पराजय के बावजूद वह भाजपा संगठन के साथ ही समाज में भी लगातार सक्रिय रहे। पिछले लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी के प्रचार में वह जुटे रहे। ऐसे में सभी मान रहे थे कि पार्टी से टिकट तो पूरी तरह पक्का है, मगर इसके उलट हुआ। शनिवार को जब नामांकन से पहले समर्थन में तमाम ट्रैक्टर ट्रॉलियों के साथ ही बहुत से लोग अपनी मोटरसाइकिलों पर सवार होकर पहुंचे। इस भीड़ में ऐसे अनेक बुजुर्ग भी दिखाई दिए, जो जनसंघ के जमाने से पार्टी से लगातार जुड़े रहे हैं। जब तक किशन लाल रहे तब तक उन्हें ही वोट देते रहे। बाद में जब भाजपा से उनके बेटे सुखलाल आए तब भी साथ दिया। पिछले चुनाव में भी भाजपा का साथ नहीं छोड़ा, मगर इस बार स्वामी का टिकट कटना इन बुजुर्गों को भी नागवार गुजरा। बरखेड़ा क्षेत्र के बुजुर्ग खुशहाली राम कहते हैं कि स्वामी जी लगातार पार्टी के लिए काम करते रहे, लेकिन उन्हें उपेक्षित कर दिया गया। यह अनुचित है। उनके साथ ही खड़े प्यारेलाल बोले, भाजपा ने अपने वफादार को छोड़ बाहरी पर कैसे भरोसा कर लिया।। रामदुलारे का कहना था कि अब हम तो स्वामी जी के साथ हैं। हमेशा भाजपा को वोट देते आए हैं लेकिन इस बार मजबूरी है। यशवंतरी देवी मंदिर के मैदान पर समर्थकों का उत्साह देख स्वामी भावुक होकर रो पड़े। बिलखते हुए बोले : भाजपा में कुछ लोगों ने संत को अपमानित किया है। जवाब जनता को देना है। समर्थकों में महिलाओं की भी अच्छी खासी तादात रही। फिलहाल तो बरखेड़ा का बखेड़ा भाजपा के लिए बड़ी चुनौती तो है ही, इसके अलावा ऐसी स्थिति में कुछ अन्य सीटों पर भी बागी छोटे दलों का दामन थामने की कोशिश में जुट सकते हैं। बताया जाता है कि कांग्रेस और रालोद के बीच गठबंधन की भी बात शुरू हो चुकी है। ऐसी स्थित बागी समीकरण प्रभावित कर सकते हैं।

समझाने वाले खुद हुए बागी

टिकट कटने से नाराज पार्टी नेताओं को समझाने की जिम्मेदारी निभाने वाले भाजपा के जिला प्रभारी रहे सुभाष पटेल खुद बगावत की राह पकड़ कर भाजपा को बॉय-बॉय कर चुके हैं। पार्टी के जिलाध्यक्ष सुरेश गंगवार खुद शहर सीट से दावेदार रहे हैं, लेकिन उन्हें भी टिकट नहीं मिला। ऐसे में वह भी अनमने से हैं।

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