गोबर और मिट्टी के मिश्रित दीयों से जगमगाएंगे घर

गोबर और मिट्टी के मिश्रण से बने पर्यावरण संरक्षित दीये दीपावली के म

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 10:12 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 10:12 PM (IST)
गोबर और मिट्टी के मिश्रित दीयों से जगमगाएंगे घर
गोबर और मिट्टी के मिश्रित दीयों से जगमगाएंगे घर

वैभव तिवारी ,नोएडा :

गोबर और मिट्टी के मिश्रण से बने पर्यावरण संरक्षित दीये दीपावली के मौके पर लोगों के घरों में जगमगाएंगे। शहर के सेक्टर- 94 गोशाला में बनने वाले दीयों में 50-50 प्रतिशत गोबर और मिट्टी डालकर बनाया जा रहा है। दीयों का आकर्षण बढ़ाने के लिए मुल्तानी मिट्टी का इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही विभिन्न रंगों से सजाकर बाजार में उतारा जाता है।

पर्यावरण संरक्षित दीयों की मांग को देखते हुए श्री जी गो सदन की पहल पर दीयों को बनाने के साथ दीपावली के मौके पर बाजार में भेजा जा रहा है। रविवार को परिवार के साथ गोशाला में दीयों को बना रहे सेक्टर- 44 के संतराम ने बताया कि दीया बनाने के लिए एक मात्रा में मिट्टी और गीले गोबर को मिलाया जाता है। इसके बाद दीये के सांचे में गोबर का बुरादा डालकर मिट्टी और गोबर के पेस्ट से दीया तैयार किया जाता है। इस दौरान दीयों को दो दिनों तक सुखाया जाता है। बुरादे को कपड़े से झाड़कर रंगों से सजाया जाता है। वहीं, मुल्तानी मिट्टी से बनने वाले दीये में ज्यादा चिकनाई के साथ आकर्षक होते हैं। जिनका निर्माण विशेष तरीके से होता है।

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बाजार में है भारी मांग - सस्ते और बेहतर दीयों के चलते बाजार में इसकी बिक्री भारी संख्या में होती है। गोशाला की तरफ से 21 दीयों के पैक को सौ रुपये में बेचा जाता है। अक्टूबर की शुरुआत से दीयों का निर्माण रोजाना पांच लोग कर रहे हैं। रोजाना करीब ढाई हजार दीयों का निर्माण होता है। लगातार दूसरे वर्ष गोशाला ने मिट्टी और दीयों के निर्माण कार्य को बढ़ाया है। गोशाला में दीयों को बनाने वाले कामगारों को गोशाला रोजगार दे रही है। जिसमें मध्य प्रदेश के छतरपुर की रहने वाली कंचन, पार्वती और विनीता सहित अन्य काम करते हैं।

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मिट्टी में मिलकर बन जाता है खाद दीये जलने के बाद आसानी से मिट्टी में मिल कर खाद बन जाते हैं। दरअसल कच्ची मिट्टी और गोबर के चलते दीये भूमि की उर्वरक क्षमता बढ़ा देते हैं। वहीं, गोशाला में मिट्टी गोबर के गमले भी बनते है। साथ ही खाद, फिनायल और गोमूत्र से बने अन्य कई सामान गोशाला में बनाए जाते हैं।

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- गोशाला में पर्यावरण संरक्षित दीयों को दीपावली के अवसर पर बनाकर बाजार में बिक्री के लिए भेजा जाता है। त्योहार के मौके पर लोगों में दीयों को खरीदने के लिए उत्साह देखने को मिलता है।

एनके अग्रवाल, अध्यक्ष, सेक्टर - 94 , श्री जी गोसदन

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