Noida News: डाक्टर कर रहे मनमानी, नतीजा भुगत रहे मरीज, ना परामर्श मिल रहा ना ही दवाएं

नोएडा सेक्टर-12 स्थित कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल की डिस्पेंसरी में डाक्टरों की मनमानी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। साढ़े 12 से दो बजे के बीच लंच कहकर काम बंद रखा जाता हैं। इस दौरान मरीजों को न तो परामर्श मिलता और न दवाएं। (फाइल फोटो)

By Jagran NewsEdited By: Publish:Fri, 27 Jan 2023 11:37 AM (IST) Updated:Fri, 27 Jan 2023 11:37 AM (IST)
Noida News: डाक्टर कर रहे मनमानी, नतीजा भुगत रहे मरीज, ना परामर्श मिल रहा ना ही दवाएं
सेक्टर-12 स्थित डिस्पेंसरी में दवा लेने के लिए लाइन में लगे मरीज

मोहम्मद बिलाल, नोएडा: नोएडा सेक्टर-12 स्थित कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइसी) अस्पताल की डिस्पेंसरी में डाक्टरों की मनमानी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। सुरक्षागार्ड व डाक्टर मरीजों को दोपहर साढ़े 12 से दो बजे के बीच लंच कहकर काम बंद रखते हैं।

इस दौरान मरीजों को न तो परामर्श मिलता और न दवाएं। पंजीकरण भी बंद रहता है। डिस्पेंसरी खुलने का समय सुबह 7:30 से शाम 7:30 बजे तक है। पहली शिफ्ट में डाक्टर का समय सुबह 7:30 से दोपहर 1:30 बजे तक व दूसरी शिफ्ट में दोपहर 1:30 से शाम 7:30 बजे तक है।

लंच के बहाने समय से पहले उठ जातें है डॉक्टर

सुबह की शिफ्ट में डाक्टर 8:30 बजे तक नहीं आते, जबकि मरीज सात बजे से ही लाइन में लग जाते हैं। वहीं दोपहर में लंच की बात कहकर एक बजे से पहले ही उठ जाते हैं। दूसरी शिफ्ट के डाक्टर दो बजे के बाद आते हैं। करीब डेढ़ घंटे तक पंजीकरण, परामर्श व दवा नहीं मिलती।

फार्मेसी काउंटर पर भी मरीजों को कैंसर, बीपी, मधुमेह, सांस रोग की दवा नहीं होने की बात कहकर वापस किया जा रहा हैं। डिस्पेंसरी में पंजीकरण व फार्मेसी के चार-चार काउंटर हैं, लेकिन एक-एक काउंटर खुलता है। डाक्टर भी एक कक्ष में बैठते हैं।

ईएसआइसी अस्पताल की डीएमएस डा. सोना बेदी का कहना है कि कैंसर की दवा अस्पताल से मिलती है। डिस्पेंसरी में मधुमेह, बीपी की दवा होती है। डिस्पेंसरी में लंच का प्रविधान नहीं है। मरीजों को लंच बताने के मामले की जांच की जाएगी।

क्या कहना है लोगों का

मुझे हृदय रोग है। डिस्पेंसरी से पूरी दवा नहीं मिली है। डिस्पेंसरी में कोई सुनवाई भी नहीं होती है।

-रघुबीर

अस्पताल में डाक्टर ने अल्ट्रासाउंड के लिए कहा था, लेकिन जांच के लिए लंबी लाइन मिली, तो 400 रुपये खर्च कर बाहर जांच कराई। दर्द अब भी बना हुआ है। डिस्पेंसरी के डाक्टर ने सब ठीक है कहकर वापस कर दिया है।

-सविता

डिस्पेंसरी में दवा लेने आया था, लेकिन मालूम चला कि अस्पताल के डाक्टरों की ओर से दवा आनलाइन नहीं चढ़ाई गई है। इस कारण डिस्पेंसरी से दवा नहीं मिलेगी।

-रमेश

डिस्पेंसरी में डाक्टर साढ़े 12 से ढाई बजे तक लंच पर रहते हैं। मरीजों को परामर्श से लेकर दवा लेने तक परेशानी होती है।

-अंकित

लंच का समय दोपहर एक से दो बजे तक का है। डाक्टर 2:15 बजे तक आ जाएंगे। पहले सेक्टर-24 स्थित अस्पताल में दवा के लिए लाइन में लगा। अब डिस्पेंसरी में लाइन में लगना पड़ रहा है।

-राजकुमार

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