लगातार पांच दिनों तक भूखे रहकर पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए थे

दुश्मनों का पीछा करते-करते उनकी टुकड़ी बांग्लादेश सीमा तक पहुंच गई तभी सीज फायर की घोषणा हो गई और करीब 95 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sat, 10 Aug 2019 11:49 AM (IST) Updated:Sat, 10 Aug 2019 10:43 PM (IST)
लगातार पांच दिनों तक भूखे रहकर पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए थे
लगातार पांच दिनों तक भूखे रहकर पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए थे

गौतमबुद्ध नगर, (राधेश्याम बघेल)। दुश्मन अगर सामने हो और उसे मात देने की होड़ लगी हो तो मां भारती के सपूतों को भूख-प्यास कोई मायने नहीं रखती। भले ही यह स्थिति कई दिनों तक हो। इसे साबित कर दिखाया यहां गौतमबुद्ध नगर जिले के निवासी रामपाल और उनकी यूनिट के जांबाजों ने। वे लगातार पांच दिनों तक भूखे रहकर पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए थे। 

गौतमबुद्ध नगर जिले के रबूपुरा कस्बे के निवासी रामपाल सिंह सोलंकी 10 जुलाई, 1963 को सेना में भर्ती हुए थे। सेना में भर्ती होने के बाद उन्हें प्रशिक्षण के लिए महाराष्ट्र के पुणे भेज दिया गया। 1964 में उन्हें शांति सेना में मुंबई से पानी के जहाज में पोर्ट सैयद गाजा पट्टी संयुक्त राष्ट्र भेजा गया। वहां उन्होंने एक वर्ष 24 दिनों तक अपनी सेवाएं दी। वहां से वापसी के कुछ वर्षों के बाद वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में रामपाल सिंह ने भी भाग लिया और दुश्मन देश की फौज के छक्के छुड़ाने में अहम भूमिका निभाई। 

रामपाल सिंह सोलंकी ने युद्ध के संस्मरण सुनाते हुए बताया कि 1971 के युद्ध के दौरान उन्होंने अपने साथियों के साथ पांच दिन तक भूखे रहकर दुश्मनों से युद्ध लड़ा। उनके यूनिट की तैनाती पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के मेघना नदी थी। चारों तरफ पानी होने के कारण उन तक रसद व खाद्य सामग्री नहीं पहुंच पाई थी।

छठे दिन उनकी टुकड़ी ने पाकिस्तान के सैनिकों को मारकर भगाया था। दुश्मनों का खात्मा करने के बाद उनकी टुकड़ी ने पाकिस्तानी सीमा से सटे नौसंधि के लिए प्रस्थान किया था। हेलीकॉप्टर से मेघना नदी पार करने के बाद वहां से भी पाकिस्तानी फौज को भागने पर मजबूर कर दिया था। 

दुश्मनों का पीछा करते-करते उनकी टुकड़ी बांग्लादेश की सीमा तक पहुंच गई, तभी सीज फायर की घोषणा हो गई और करीब 95 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने हथियार डालकर आत्मसमर्पण कर दिया था। उसके बाद भी भारतीय सैनिकों ने ढाका शहर में प्रवेश किया था। शांति सेना के साथ वे 90 दिनों तक ढाका में रहे। रामपाल सिंह सोलंकी 1982 में सेना से सेवानिवृत्त हो गए। अब वह पत्नी विमला देवी व दो बेटों संजीव, दीपक व तीन बेटियों लक्ष्मी, सीमा व रेनू के साथ रबूपुरा में रह रहे हैं और सामाजिक कार्यों में लगे हैं। 

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