जेपी अस्पताल में दवाई की ओवरडोज से बच्चे की मौत, हंगामा

सेक्टर-128 स्थित जेपी अस्पताल में बृहस्पतिवार को एक 13 वर्षीय बच्चे की मौत हो गई। परिजन बच्चे को दस्त होने की शिकायत पर इलाज के लिए अस्पताल लेकर पहुंचे थे।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Aug 2019 10:35 PM (IST) Updated:Fri, 30 Aug 2019 06:32 AM (IST)
जेपी अस्पताल में दवाई की ओवरडोज से बच्चे की मौत, हंगामा
जेपी अस्पताल में दवाई की ओवरडोज से बच्चे की मौत, हंगामा

जागरण संवाददाता, नोएडा: सेक्टर-128 स्थित जेपी अस्पताल में बृहस्पतिवार को एक 13 वर्षीय बच्चे की मौत हो गई। परिजन बच्चे को दस्त होने की शिकायत पर इलाज के लिए अस्पताल लेकर पहुंचे थे। आरोप है कि यहां डॉक्टरों ने बच्चे को देर रात दवा की ओवरडोज दे दी, जिससे उसका शरीर पूरा नीला पड़ गया और करीब छह घंटे बाद ही उसकी मौत हो गई। इसे लेकर बच्चे के परिजनों और डॉक्टरों के बीच नोकझोंक भी हुई। बाद में मौके पर पहुंची एक्सप्रेस-वे कोतवाली पुलिस ने परिजन को कार्रवाई का आश्वासन देकर मामले को शांत कराया है।

वहीं, सेक्टर-135 स्थित नंगली वाजिदपुर गांव में रहने वाले राजकिशोर गांव में रहकर खेती-किसानी का काम करते हैं। परिवार में 13 वर्षीय भतीजा मोंटी चौहान आठवीं कक्षा में पढ़ाई करता था। पिछले दो दिनों से दस्त की शिकायत होने पर बुधवार रात करीब साढ़े 11 बजे जेपी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया था। यहां डॉक्टरों ने बच्चे को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती करने के बाद उसे न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती किया। यहां देर रात डॉक्टरों ने इलाज के दौरान बच्चे को कई सारी दवा खाने को दी। जिसे खाने के कुछ देर बाद ही उसका शरीर पूरा नीला पड़ने लगा। मृतक के परिजन का कहना है कि शरीर को नीला पड़ता देख सुबह करीब साढ़े पांच बजे डॉक्टर और नर्स बच्चे की छाती को जोर-जोर से दबाने लगे। आरोप है कि करीब साढ़े सात बजे अचानक नर्स द्वारा बच्चे की मौत होने की बात कही गई। उन्होंने जब बच्चे की मौत का कारण पूछा, तो डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे के दिमाग में इंफेक्शन था। इस कारण ही उसकी मौत हुई है। बच्चे की मौत के बावजूद अस्पताल प्रबंधन की ओर से 62 हजार रुपये का बिल बनाकर दिया गया, जिसमें 50 हजार रुपये भर्ती से पहले जमा करवाए गए थे। डॉक्टरों ने बच्चे की इलाज की पुरानी हिस्ट्री को देखे बगैर देर रात दवा की ओवरडोज दे दी। जिसे खाने के बाद बच्चे के पूरा शरीर नीला पड़ गया। महज छह घंटे बाद ही उसकी मौत हो गई। डॉक्टरों की इस लापरवाही के खिलाफ पुलिस में शिकायत की है।

- राज किशोर, मृतक बच्चे का चाचा परिजन ने जेपी अस्पताल में इलाज से पहले बच्चे को भंगेल के एक निजी में दिखाया था। उन्हें शक था कैनुला लगाने के दौरान बच्चे के पेट में बड़ा सा चीरा लगाया गया है। जिससे उसकी मौत हुई। लेकिन बाद में इलाज का तरीका समझाने पर वह मान गए। अभी लिखित शिकायत नहीं आई है। शिकायत मिलने के बाद ही जांच की जाएगी।

- दिनेश सोलंकी, चौकी इंचार्ज विश टाउन-128 अस्पताल आने पर बच्चा बहुत ही कुपोषित, डिहाइड्रेटेड व बेहद सुस्त था। जांच रिपोर्ट में भी गुर्दे व लिवर फेल होने के साथ ही, प्लेटलेट्स काउंट पांच हजार से कम थी। इलाज के दौरान ही सुबह तकरीबन सात बजे बच्चे को दिल का दौरा पड़ा। सीपीआर देते समय करीब 7.53 बजे बच्चे की मौत हो गई।

- जेपी अस्पताल प्रबंधन, सेक्टर-128

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