निवेशकों से किए वादे अधूरे नहीं छोड़ सकेंगे बिल्डर

जागरण संवाददाता, नोएडा : खरीदार और डेवलपर्स रियल एस्टेट बिल (रेरा) के लागू होने का बेसब्री से इंत

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 May 2017 01:00 AM (IST) Updated:Mon, 01 May 2017 01:00 AM (IST)
निवेशकों से किए वादे अधूरे नहीं छोड़ सकेंगे बिल्डर
निवेशकों से किए वादे अधूरे नहीं छोड़ सकेंगे बिल्डर

जागरण संवाददाता, नोएडा :

खरीदार और डेवलपर्स रियल एस्टेट बिल (रेरा) के लागू होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। सोमवार यानी आज से लागू होने जा रहे रेरा से न केवल खरीदारों के चेहरे खिल उठेंगे, बल्कि रियल एस्टेट मार्केट में भी कई परिवर्तन देखने को मिलेंगे। इसका लाभ खरीदार और बिल्डर दोनों को होगा। वहीं निवेशकों को कई अधिकार भी मिलेंगे, जो उनके हितों की रक्षा के लिए काफी कारगर होंगे। बुकिंग के समय निवेशकों से लिखित में किए गए वादों को बिल्डर अधूरा नहीं छोड़ सकेंगे। अगर बिल्डर ऐसा करते हैं, तो निवेशकों के पास कई ऐसे अधिकार होंगे, जिससे बिल्डर के सामने समस्याएं खड़ी हो जाएंगी।

डेवलपर्स का मानना है कि रेरा के तहत जो अधिकार निवेशकों को मिलेंगे, उनका इस्तेमाल लोग डेवलपर्स को जान-बूझ कर मुश्किल में डालने के लिए नहीं करेंगे। रेरा के तहत निवेशक बिल्डरों की मनमानी की शिकायत कर सकेगा और दोषी पाये जाने पर प्रोजक्ट भी रद होगा। बिल्डर को हर हाल में फ्लैट्स का पजेशन तय सीमा के भीतर देना होगा। ऐसा न होने पर हर हाल में निवेशकों को एस्योर रिटर्न देनी होगी। निवेशकों को प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन के साथ में कौन से कौन से अप्रूवल मिल चुके हैं, इसकी जानकारी वेबसाइट पर ही मिल जाएगी। अप्रूवल मिलने पर ही प्रोजेक्ट लॉन्च होने से बिल्डर प्रोजेक्ट की प्री-लॉन्चिंग नहीं कर सकेगा। इससे निवेशक ऐसे बिल्डरों के जाल से बच सकेंगे, जो प्रोजेक्ट लॉन्च के नाम पर पैसा लेकर दूसरे प्रोजेक्ट पूरे करने में लगे रहते हैं। इससे भी बड़ी बात निवेशकों के हित में यह होगी कि प्रोजेक्ट के फ्लैट की बिक्री सुपर एरिया पर न होकर कारपेट एरिया पर मिलेगी। वहीं बिल्डरों को बहुत से विभाग से अनुमति लेनी होती है। ऐसे में बिल्डर चाहते हैं कि सरकारी संस्थाओं को भी अनुमोदन जारी करने में देरी के लिए जवाबदेह ठहराया जाए।

रेरा का इतिहास

रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट बिल 10 मार्च 2016 को राज्यसभा और 15 मार्च 2016 को लोकसभा से पास हुआ था। एक मई 2016 को यह एक्ट बना। इस बिल पर 2007 से ही शुरू कर दिया था और पहली बार 2013 में संसद में इसका परिचय कराया गया।

क्या है रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी

रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट 2016 के अनुसार रियल्टी सेक्टर के लिए हर राज्य में रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी और सेंट्रल अपीलेट अथॉरिटी बनाई जाएगी। किसी भी बिल्डर की मनमानी की शिकायत राज्यों की अथॉरिटी को की जा सकेगी। वहीं राज्यों के रेगुलेटर के खिलाफ भी अपील की जा सकेगी।

निवेशकों को लाभ :

-अप्रूवल मिलने पर ही प्रोजेक्ट लॉन्च हो सकेगा। इससे पहले बिल्डर प्रोजेक्ट की प्री-लॉन्चिंग नहीं कर सकेगा।

-निवेशकों को फ्लैट की बिक्री सुपर एरिया पर न होकर कारपेट एरिया पर होगी।

-निवेशक बिल्डरों की मनमानी की शिकायत कर सकेगा और दोषी पाये जाने पर प्रोजक्ट भी रद होगा।

-फ्लैट्स का पजेशन तय सीमा में मिलेगा।

-प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन के साथ कौन से अप्रूवल मिल चुके हैं, इसकी जानकारी निवेशकों को बिल्डर की वेबसाइट पर मिलेगी।

-राज्य में 500 वर्ग मीटर से बड़े प्लॉट साइज या 8 फ्लैट से अधिक के रेजीडेंशियल या कॉमर्शियल प्रोजेक्ट को अथॉरिटी से रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

बिल्डर्स को लाभ :

-रियल एस्टेट मार्केट में सिर्फ वह बिल्डर टिक सकेंगे, जो प्रोजेक्ट का पैसा उसी प्रोजेक्ट को पूरा करने में खर्च कर रहे हैं। इससे अच्छे बिल्डर के काम में इजाफा होगा।

-बिल्डर पर निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा।

-रेरा से खरीदारों की निवेश के प्रति चाह बढे़गी, जिससे मार्केट में उछाल आएगा।

-रेगुलेटर बनने से लेनदेन के तरीकों में पारदर्शिता आएगी। इसका लाभ बिल्डर और खरीदार दोनों को होगा।

रेरा रियल एस्टेट मार्केट में होने वाली कालाबाजारी पर लगाम लगायेगा जिसका लाभ बिल्डर और खरीदार दोनों को मिलेगा। पिछले करीब साढ़े चार वर्ष से बाजार मंदी के दौर से गुजर रहा है। बेहतर रिट‌र्न्स की उम्मीद कम होने के कारण निवेशक और खरीदार बाजार से दूरी बनाये हुए थे। रेरा के परिचय होने से बाजार सुधार देखने को मिलेगा।

अमित मोदी, उपाध्यक्ष क्रेडाई पश्चिमी उत्तर प्रदेश

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