विकास की बुलंदी छुएगा शहर : रमा रमण

नोएडा, ग्रेटर नोएडा में पिछले पांच वर्ष से चल रहे जमीनी विवाद के कारण दोनों शहरों में विकास का पहिया

By Edited By: Publish:Sun, 31 May 2015 05:56 PM (IST) Updated:Sun, 31 May 2015 05:56 PM (IST)
विकास की बुलंदी छुएगा शहर : रमा रमण

नोएडा, ग्रेटर नोएडा में पिछले पांच वर्ष से चल रहे जमीनी विवाद के कारण दोनों शहरों में विकास का पहिया थम सा गया है। कोई बड़ी इंडस्ट्री शहर में नहीं लगी है। विकास की रफ्तार कुंद पड़ी हुई है। आंदोलनों के चलते निवेशकों ने मुंह मोड़ना शुरू कर दिया था। इससे पूंजी निवेश रुक गया। खासकर ग्रेटर नोएडा तो विकास के मामले में काफी पिछड़ गया। अब दोनों शहरों में जमीनी विवाद सुलझ चुका है। देश की सर्वोच्च अदालत ने प्राधिकरण को राहत देते हुए किसानों की याचिकाएं खारिज कर दी हैं। इससे जमीन अधिग्रहण के अधिकांश मामले सुलझ चुके हैं। बावजूद किसान अब भी आंदोलन पर उतारू हैं। ऐसे में दोनों शहरों को पुन: विकास की पटरी पर लाना प्राधिकरण के लिए चुनौती होगा। इन चुनौतियों से प्राधिकरण कैसे पार पाएगा, इस संबंध में दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता धर्मेंद्र चंदेल ने दोनों प्राधिकरण के चेयरमैन व सीईओ रमा रमण से बात की। प्रस्तुत है, उसके अंश।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्राधिकरण और निवेशक दोनों को राहत मिली है, क्या कहेंगे?

देखिए, कोर्ट के फैसले से किसानों की भी जीत हुई है। दोनों प्राधिकरण किसानों को दस फीसद जमीन विकसित कर वापस देने की स्थिति में नहीं थे। कोर्ट के फैसले के बाद प्राधिकरण को जमीन देनी पड़ेगी। दस हजार करोड़ रुपये का प्राधिकरणों पर अतिरिक्त भार पड़ा है। इससे किसानों को ही लाभ हुआ है। हां, यह बात सही है कि निवेशकों को भी बड़ी राहत मिली है। निवेशकों पर दोहरी मार पड़ रही थी। फ्लैटों की किश्त देने के साथ उन्हें किराए के मकान में रहना पड़ रहा था। उनके घर का सपना अब साकार होगा। प्राधिकरण के लिए काम करना अब आसान हो जाएगा।

निवेशकों को कब तक अपने घरों पर कब्जा मिल जाएगा?

इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए जा चुके हैं। कुछ बिल्डरों ने निवेशकों को फ्लैटों पर कब्जा देना शुरू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अन्य बिल्डरों के साथ भी बैठक की गई थी। उन्हें स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि तेजी से परियोजनाओं का निर्माण पूरा कर एक से सवा वर्ष के अंदर फ्लैटों पर कब्जा देना सुनिश्चित कराएं।

बिल्डर मनमानी कर निवेशकों से बढ़ी धनराशि मांग रहे हैं?

कोई बिल्डर ऐसा करता है तो प्राधिकरण चुप नहीं बैठेगा। पुराने निवेशकों से वही धनराशि ली जाएगी, जो बु¨कग के समय निर्धारित की गई थी। बिल्डरों को प्राधिकरण की तरफ से कड़ी हिदायत दे दी गई है। आप यह तय मानिए, बिल्डर ने किसी निवेशक को परेशान किया तो कार्रवाई होगी। पिछले दिनों पांच बिल्डरों के खिलाफ प्राधिकरण कार्रवाई कर चुका है।

किसान तो अभी भी आंदोलन पर उतारू हैं, कैसे विकास की उम्मीद की जाए?

देखिए, प्राधिकरण के लिए किसानों का हित सर्वोपरि है। हम किसानों के साथ बैठक कर उनकी प्रत्येक समस्या का समाधान करेंगे। किसानों से आग्रह किया गया है कि अब बहुत आंदोलन हो चुका। सभी को मिलकर अब विकास की दिशा में कदम बढ़ाना होगा। आप तय मानिए, किसी भी किसान का अहित नहीं होने दिया जाएगा। उनको जमीन का मुआवजा देने के साथ छह माह में दस फीसद भूखंड भी दे दिए जाएंगे। आबादी की समस्या का समाधान करने के लिए फिर से अभियान शुरू करने का निर्णय लिया जा चुका है। किसानों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए स्कूल, कालेज के साथ आइटीआई भी खोले जाएंगे। गांवों का उच्चकोटि का विकास होगा। स्वास्थ्य और खेल सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी। रोजगार दिलाने की दिशा में भी प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। किसानों को विकास में भागीदार बनाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 98 फीसद मामले सुलझ चुके हैं।

किस तरह विकास के पहिए को पुन: पटरी पर लाएंगे?

मैं, पहले भी कह चुका हूं। किसानों को साथ लेकर विकास को आगे बढ़ाएंगे। इस समय सबसे ज्यादा जरूरत शहर की ढांचागत सुविधाओं को विकसित करने की है। निवेशक जब अपने घरों में पहुंचे तो उन्हें तत्काल बिजली, पानी का मीटर कनेक्शन, चालू हालत में सीवर लाइन मिलनी चाहिए। सड़कें टूटी नहीं होनी चाहिए। घरों के नजदीक लोगों को परिवहन सेवा उपलब्ध होनी चाहिए। इन्हें पूरा करने का प्राधिकरण रोडमैप तैयार कर चुका है। मैं, आपको विश्वास दिलाता हूं कि एक वर्ष के अंदर शहर में सभी बुनियादी और जनसुविधाओं को विकसित कर दिया जाएगा। इसमें धन की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी।

शहर को बसे तो कई वर्ष हो गए, अब सुविधाएं क्यों नहीं विकसित हुई?

देखिए, ऐसा नहीं है। जो सेक्टर बस चुके हैं, वहां बुनियादी और जन सुविधाएं उपलब्ध हैं। ग्रेटर नोएडा वेस्ट समेत नए सेक्टरों में जमीनी विवाद के कारण सुविधाएं विकसित करने में देरी हुई, लेकिन इसमें अब और देरी नहीं होगी। मैं भरोसा दिलाता हूं कि हम किसानों, निवेशकों, उद्यमियों और कारोबारियों के साथ मिलकर नोएडा, ग्रेटर नोएडा को विकास के मामले में बुलंदियों पर ले जाएंगे।

जब तक शहर में उद्योग नहीं लगेंगे, तब तक कैसे विकास की बात कही जाए ?

हां, यह बात सही है। उद्योग नहीं लगेंगे तो लोगों को रोजगार नहीं मिलेगा। प्राधिकरण उद्योग स्थापित कराने की दिशा में बड़े कदम उठा रहा है। ताइवान की इलेक्ट्रानिक्स सामान बनाने की एक कंपनी को 200 एकड़ जमीन दी जा रही है। हीरो मजिस्टिक को भी 400 एकड़ जमीन देने की तैयारी चल रही है। चीन की एक मोबाइल कंपनी से भी अंतिम चरण में बातचीत चल रही है। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर से करीब 72 हजार करोड़ रुपये का पूंजी निवेश होगा। बारह लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। ग्रेटर नोएडा में इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप का निर्माण शुरू हो चुका है।

डीएनडी विवाद को सुलाने की दिशा में क्या कदम उठाए गए हैं?

देखिए, यह ऐसा मामला है, जिसकी तह में जाना पड़ेगा। हालांकि, इसकी अख्या शासन को भेज दी गई है। खर्च की सीएजी जांच कराकर मसले को हल कराया जाएगा। प्राधिकरण कतई नहीं चाहता है कि शहर वासियों पर कोई अतिरिक्त बोझ पड़े।

प्राधिकरण में काम कराने के लिए लोग भटकते हैं, क्या कदम उठाएंगे?

देखिए, इसके लिए सिटीजन चार्टर लागू किया जा चुका है। ¨सगल ¨वडो सिस्टम लागू करने के लिए भी शासन स्तर पर गंभीरता से बात चल रही है। आवंटियों को परेशान नहीं होने दिया जाएगा। कार्यों में पारदर्शिता लाई जाएगी। कभी-कभार ऐसे अधिकारी आ जाते हैं, जो काम में विलंब करते हैं। पिछले दिनों इस तरह के कई प्रबंधकों को काम से हटाकर अन्य प्रबंधकों को काम में लगाया गया है। इससे कार्यों में तेजी आई है।

व्यक्तिगत परिचय

नाम : रमा रमण

आइएएस बैच : 1987

मूल निवास : बेगूसराय, बिहार

शिक्षा : बीटेक आइआइटी बनारस विवि

मौजूदा तैनाती : चेयरमैन, नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण एवं सीईओ नोएडा, ग्रेटर नोएडा

डीएम रहे : लखनऊ, मेरठ, बरेली, गोरखपुर, अंबेडकर नगर, प्रतापगढ़ व मिर्जापुर

सीडीओ : नैनीताल

एसडीएम : फतेहपुर

केंद्र में तैनात रहे : सात वर्ष

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