ईश्वर को जानने के लिए भक्ति जरूरी : स्वामी कर्मवीर

भोकरहेड़ी में चल रहे आर्य समाज के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव के समापन पर अन्तर राष्ट्रीय योग विद्यापीठ गोधना से पधारे योग गुरु स्वामी कर्मवीर महाराज ने कहा कि ईश्वर सर्व व्यापक है कण कण में विराजमान है। ईश्वर को जानने के लिए भक्ति करें। भक्ति के बल पर ईश्वर की प्राप्ति संभव है। आत्मा की खुराक ध्यान है। स्वामी सत्यवेश महाराज ने कहा कि आचरण की श्रेष्ठता में ही जीवन की महानता है। भारतीय संस्कृति में विचारों की अपेक्षा आचरण को उच्च माना गया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Oct 2019 07:09 PM (IST) Updated:Wed, 16 Oct 2019 07:09 PM (IST)
ईश्वर को जानने के लिए भक्ति जरूरी : स्वामी कर्मवीर
ईश्वर को जानने के लिए भक्ति जरूरी : स्वामी कर्मवीर

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। मोरना के कस्बा भोकरहेड़ी में चल रहे आर्य समाज के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव के समापन पर अंतरराष्ट्रीय योग विद्यापीठ गोधना से पधारे योग गुरु स्वामी कर्मवीर महाराज ने कहा कि ईश्वर सर्व व्यापक है, कण-कण में विराजमान है। ईश्वर को जानने के लिए भक्ति करें। भक्ति के बल पर ईश्वर की प्राप्ति संभव है। आत्मा की खुराक ध्यान है।

स्वामी सत्यवेश महाराज ने कहा कि आचरण की श्रेष्ठता में ही जीवन की महानता है। भारतीय संस्कृति में विचारों की अपेक्षा आचरण को उच्च माना गया है। आचरण ही धर्म की कसौटी है। मनुष्य की पहचान जाति, धर्म, सम्प्रदाय से नहीं, बल्कि उसके आचरण से होना मूल्यवान है। सत्य, न्याय, कर्तव्य पालन और सद चरित्र को धारण करना ही धार्मिकता है। स्वामी महानंद महाराज ने कहा कि आदिकाल से यज्ञ भारत की परंपरा है। पर्यावरण शुद्धि व संस्कार प्राप्ति को यज्ञ करें। बदायूं से आई भजन उपदेशिका अलका आर्य ने कहा कि महापुरुषों, क्रांतिकारियों के आदर्शो बलिदान से युवा पीढ़ी को अवगत कराएंगे, तभी राष्ट्र की रक्षा होगी। इससे पूर्व वेद मंत्रोचारण से यज्ञ हुआ। यजमान अश्वनी व प्रीति आर्य रहे। वेदपाठ स्वामी सुभाष और आचार्य सुरेंद्र ने किया। पूर्व चेयरमैन मदनपाल सिंह, मोहित शास्त्री, आनंद पाल आर्य, मंगत सिंह आर्य, सुखपाल आर्य, वीर सिंह महाशय, विजेंद्र आर्य, राजेंद्र, ओम प्रकाश, राम पाल, संजीव आर्य, जयवीर आदि मौजूद रहे।

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