समझ से करें मुसीबतों का सामना

जीवन में हर व्यक्ति कर्म करता है। इनमें कुछ अच्छे कर्म होते हैं तो कुछ बुरे कर्म होते हैं। कुछ कर्मों का परिणाम सुख के रूप में आता है तो कुछ का दुख के रूप में।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 09 Oct 2019 10:21 PM (IST) Updated:Thu, 10 Oct 2019 06:24 AM (IST)
समझ से करें मुसीबतों का सामना
समझ से करें मुसीबतों का सामना

मुजफ्फरनगर : जीवन अनमोल है। जीवन में हर व्यक्ति कर्म करता है। इनमें कुछ अच्छे कर्म होते हैं तो कुछ बुरे कर्म होते हैं। कुछ कर्मों का परिणाम सुख के रूप में आता है, तो कुछ का दुख के रूप में। इन्हीं कर्मों के बीच हर व्यक्ति के जीवन में दिक्कत, मुसीबतें आती हैं। परेशानी के समय में व्यक्ति चितित रहता है। मुसीबत बढ़ने पर व्यक्ति निराश हो जाता है। कुछ लोग तो परेशानियों से तंग आकर आत्महत्या या आत्मदाह तक का कदम उठाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर बैठते हैं। मुसीबतें व कष्ट देवताओं, पैगंबरों, तीर्थंकरों, धर्म गुरुओं पर भी आए, लेकिन वे सत्य के मार्ग से नहीं हटे। अंत में उन्हें सफलता मिली। वे अपने मकसद में कामयाब हुए। सत्य के मार्ग पर अडिग रहने वाला व्यक्ति जीत हासिल करता है। यह जीवन की सफलता का मूल मंत्र है। परिवार में किसी एक व्यक्ति बीमार, घायल या कष्ट में होता है, पूरा परिवार दुखी हो सकता है। परिवार को उक्त व्यक्ति के चिता सताने लगती है। मुसीबत के दिनों में यदि हम एक दूसरे का सहारा बने तो मुसीबत में फंसे व्यक्ति का कष्ट दूर हो जाएगा। दैनिक जागरण संस्कारशाला में बुधवार को प्रकाशित कहानी आइसक्रीम पार्टी नाम की कहानी में मिल जुलकर एक दूसरे का कष्ट दूर करने का सजीव उदाहरण दिया गया है। इस कहानी में बताया गया है कि नीला मां की इंतजार कर रही थी। इसी बीच राज आंटी उसे अपने घर ले गईं और उसे आलू के परांठे बनाकर दिए। राज आंटी ने उसे टीवी भी दिखाया। उन्होंने उसे नहीं बताया कि उसकी मां सड़क दुर्घटना में घायल हो गई। उन्होंने घर पहुंचने पर बताया कि उसकी माता घायल हो गई, लेकिन घबराने की बात नहीं है। डाक्टर को दिखा दिया है। वह जल्द ठीक हो जाएंगी। मामा ने होटल पर खाने के लिए फोन कर रहे थे कि माथुर आंटी खाना लेकर आ गईं। सेठी अंकल नीला को कार में स्कूल लेकर गए और वापस लेकर आए। उनके स्कूल के दो-दो दोस्त स्कूल की छुट्टी के बाद नीला की माता की सेवा करने के लिए बारी-बारी से पहुंचे। कोई दूध लाता, तो कोई भोजन और कोई सब्जी। इन सबकी मदद से नीला की माता बहुत जल्दी ठीक हो गईं। नीला के पापा ने कहा कि नीला के दोस्तों ने उनकी पत्नी का पूरी तरह ख्याल रखा। उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होने दी। इससे खुश होकर उन्होंने कहा कि सबको आइसक्रीम की पार्टी मिलनी चाहिए। इस कहानी से यह संदेश दिया गया कि हम सबको एक दूसरे की मदद करनी चाहिए। यदि सभी लोग इस तरह एक दूसरे की सहायता करें तो किसी भी व्यक्ति को कष्ट के दिनों में परेशानियों का सामना करना नहीं पड़ेगा। हम सबको एक दूसरे की सहायता का प्रण लेना चाहिए। सहयोग की भावना रखने वाले लोगों को मुसीबत में सभी से सहयोग मिलता है। यह भावना बच्चों में पैदा करनी होगी। इसके लिए शिक्षकों और अभिभावकों को बेहतर तरीके से प्रयास करने होंगे। इस प्रकार की भावना के साथ बड़े होने वाले बच्चे संस्कारवान होंगे।

- कैरल एसएच सिंह, प्रधानाचार्य, पिकेट इंटर कालेज, खतौली मुजफ्फरनगर।

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