शिवरात्रि 30 को, अपराह्न 2.49 बजे से जलाभिषेक श्रेष्ठ

शिवरात्रि पर्व 30 जुलाई को है। अपराह्न 2.49 बजे शिव और शिवा के मिलन काल से जलाभिषेक करना श्रेष्ठ माना गया है। त्रयोदशी का जलाभिषेक 29 जुलाई को शाम 5.09 बजे से शुरू होकर पूरी रात व दिन होता रहेगा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Jul 2019 12:03 AM (IST) Updated:Sun, 28 Jul 2019 12:03 AM (IST)
शिवरात्रि 30 को, अपराह्न 2.49 बजे से जलाभिषेक श्रेष्ठ
शिवरात्रि 30 को, अपराह्न 2.49 बजे से जलाभिषेक श्रेष्ठ

मुजफ्फरनगर: शिवरात्रि पर्व 30 जुलाई को है। अपराह्न 2.49 बजे शिव और शिवा के मिलन काल से जलाभिषेक करना श्रेष्ठ माना गया है। त्रयोदशी का जलाभिषेक 29 जुलाई को शाम 5.09 बजे से शुरू होकर पूरी रात व दिन होता रहेगा।

शिवरात्रि पर शिव जलाभिषेक का विशेष महत्व है। त्रयोदशी व चतुर्दशी में जलाभिषेक का विधान है। ज्योतिषविद पं. विष्णु शर्मा ने बताया कि त्रयोदशी 29 जुलाई को शाम 5 बजकर 9 मिनट पर प्रारंभ हो रही है। इसी काल से त्रयोदशी का जलाभिषेक प्रारंभ हो जाएगा जो 30 जुलाई को पूरे दिन होता रहेगा। 30 जुलाई को अपराह्न दो बजकर 49 मिनट पर त्रयोदशी समाप्त होकर चतुदर्शी प्रारंभ हो जाएगी। यदि त्रयोदशी के समाप्ति और चतुदर्शी के प्रारंभ के संगम काल में शिव जलाभिषेक किया जाए तो अत्यंत श्रेष्ठ रहेगा। त्रयोदशी और चतुर्दशी के संगम काल में आद्र्रा नक्षत्र भी रहेगा। आद्र्रा नक्षत्र शिव को अत्यंत प्रिय है। इस ²ष्टि से 30 जुलाई को दोपहर दो बजकर 29 मिनट पर शिव जलाभिषेक उत्तम रहेगा। शिव का जलाभिषेक दूध, दही, शहद, घी, शर्करा, गंगाजल, बेलपत्र, कनेर, श्वेतार्क (सफेद आखे के फूल), धतूरे के फूल, कमलगट्टा व नीलकमल ओम नम: शिवाय: का जाप करते हुए चढ़ाएं तथा शिव पूजन करें। शिव पुराण व शिव चालीसा का जाप करें।

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सुरेश पाल

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