चीतल पार्क की रंगत चित
खतौली: करीब चार दशक तक देश व विदेश के पर्यटकों का केन्द्र रहा खतौली का चीतल पार्क अब उजड़ गया है। पार
खतौली: करीब चार दशक तक देश व विदेश के पर्यटकों का केन्द्र रहा खतौली का चीतल पार्क अब उजड़ गया है। पार्क को बंद करने से यहां लोग स्वच्छ वातावरण को लोग तरस गए।
लगभग चार दशक पहले खतौली में गंग नहर किनारे वन विभाग ने चीतल पार्क का विकसित किया था। इस पार्क में हिरन, चीतल, सांभर, पहाड़े के साथ साथ खरगोश व अन्य पशु व पक्षी बाढ़े में रहते थे। पार्क में बड़ी संख्या में झूले थे। पार्क में एक रस्टोरेंट भी था। सन् 2010 तक जब नेशनल हाईवे-58 खतौली शहर के बीच से गुजरता था, तब तक इस पार्क में रोजाना हजारों देशी और विदेशी पर्यटक और तीर्थयात्रा आते थे। हिरन, चीतल, पहाड़े आदि पशु पक्षियां इस पार्क का आकर्षण रहे, लेकिन बाइपास बनने के बाद तमाम ट्रैफिक बाइपास से गुजरने लगा। उधर बजट न होने के कारण वन विभाग ने भी इसके रखरखाव पर ध्यान देना बंद कर दिया। पार्क का रेस्टोरेंट भी बंद हो गया। वन विभाग ने सन. 2014 के अंत में इस पार्क को जनता के लिए बंद कर दिया। इसके बाद यहां के चीलत, पहाड़ों और खरगोश को दूसरे स्थान पर भेज दिया गया। पार्क के तमाम झूले और बैठने की सीट व उनके ऊपर लगे टीन शेड क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
पुन: विकसित किया जाना चाहिए चीतल पार्क: पब्लिक
अधिवक्ता आबिद अली, रवि अरोरा, डा. नीरज बख्शी आदि नगरवासियों का कहना है कि चीतल पार्क बंद होने से स्वच्छ वातावरण की समस्या खड़ी हो गई है। चीतल पार्क को पुन: विकसित किया जाना चाहिए।