जेल की जमीन खरीद धांधली पर विजिलेंस जांच

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद: जेल की जमीन खरीद में हुई धांधली के मामले में शासन ने विजिलेंस

By JagranEdited By: Publish:Wed, 17 Jan 2018 02:12 AM (IST) Updated:Wed, 17 Jan 2018 02:12 AM (IST)
जेल की जमीन खरीद धांधली पर विजिलेंस जांच
जेल की जमीन खरीद धांधली पर विजिलेंस जांच

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद:

जेल की जमीन खरीद में हुई धांधली के मामले में शासन ने विजिलेंस जांच के आदेश दिये हैं। शासन का आदेश मिलने के बाद बरेली स्थित विजिलेंस विभाग के अफसरों की टीम बीते दो दिनों से मुरादाबाद में कलेक्ट्रेट के साथ रजिस्ट्री दफ्तर में तैनात अफसरों से जानकारी जुटाने के साथ ही जरूरी दस्तावेज संकलित कर रही है।

मूंढापांडे के सिरसखेड़ा में नई जेल निर्माण के लिए सौ एकड़ जमीन की खरीद प्रक्रिया को बीते तीन साल से अंजाम दिया जा रहा था। जमीन खरीद की प्रक्रिया में कई बार सवाल खड़े हुए थे, लेकिन तत्कालीन अफसरों ने सभी आपत्तियों को दरकिनार करते हुए जमीन खरीद को बदस्तूर जारी रखा था। जेल के लिए जो जमीन खरीदी गई उसमें किसानों को लाभ देने की जगह कुछ तथाकथित भूमाफिया को लाभ तत्कालीन अफसरों ने पहुंचाया था, इस दौरान प्रस्तावित जमीन की जगह दूसरे स्थान पर भी जमीन खरीद की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया था। साल 2012 से मूंढापांडे में नई जेल निर्माण के लिए जमीन खरीद की कागजी कार्रवाई शुरू हो गई थी। जेल निर्माण की भनक जैसे ही कुछ भूमाफिया को लगी उससे पहले ही उन्होंने किसानों से सस्ती दरों में बड़े पैमाने पर जमीन खरीद कर डाली थी। तत्कालीन प्रशासनिक अफसरों की मिलीभगत से जो लाभ किसानों को मिलना चाहिए था, वह सीधे तथाकथित भूमालिकों के पास पहुंच गया। हद तो तब हो गई थी जब प्रस्ताव से अलग भूमि खरीद की प्रक्रिया को अंजाम दिया था। इस मामले की भनक लगते ही तत्कालीन आइजी जेल ने भी प्रशासनिक अफसरों को पत्र भेजकर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी, लेकिन अफसरों की सत्ता में मजबूत पकड़ होने के चलते यह मामला वहीं दब गया था। सत्ता परिवर्तन के बाद जब यह मामला शासन के संज्ञान में आया तो विजिलेंस जांच के आदेश दिये थे। बीते दो दिनों से जांच टीम के अफसर कलेक्ट्रेट से लेकर रजिस्ट्री दफ्तर की फाइलों की जांच करने में जुटे हुए हैं, ताकि असल गुनाहगारों को बेनकाब किया जा सके।

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एनएचआरएम घोटाले के आरोपी से खरीदी गई जमीन

-सूबे के सबसे बड़े एनआरएचएम घोटाले में फंसे मुरादाबाद के एक कारोबारी ने भी जेल निर्माण के लिए जमीन बेची थी। घोटाले में फंसे कारोबारी को लाभ पहुंचाने के लिए तत्कालीन अफसरों ने योजनाबद्ध तरीके से पहले किसानों से कारोबारी को जमीन दिलवाई थी, इसके बाद प्रशासन ने उस जमीन को जेल निर्माण के लिए छह गुना दाम देकर खरीद कर लिया था। कारोबारी ने यह जमीन अपने बेटे के नाम से खरीदी थी, ताकि इस बात की भनक किसी और को न लग सके।

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किसानों से सवा लाख में लेकर जेल के लिए छह लाख में बेचा

-जेल निर्माण के लिए मूंढापांडे में लगभग आठ गावों में जमीन खरीद की कार्रवाई की गई थी। अभी तक प्रशासन के द्वारा सौ एकड़ के प्रस्ताव में 98 एकड़ जमीन की खरीद हो चुकी है, जबकि विवादों के चलते दो एकड़ जमीन की खरीद नहीं हो पाई है। जेल के लिए छह लाख रुपये बीघा के हिसाब से जमीन खरीदी गई है,जबकि कुछ भूमाफिया के द्वारा किसानों को बहला-फुसलाकर महज सवा लाख रुपये प्रति बीघे के हिसाब से जमीन खरीद ली गई थी।

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विजिलेंस विभाग के दारोगा ने एडीएम से मांगी जानकारी

-कलेक्ट्रेट में एडीएम प्रशासन लक्ष्मीशंकर सिंह के कार्यालय में पहुंचकर विजिलेंस विभाग के उपनिरीक्षक प्रमोद कुमार शर्मा ने मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने एडीएम प्रशासन को जांच से संबंधित सभी जानकारी देते हुए,जरूरी कागजात उपलब्ध कराने के लिए कहा है। एडीएम प्रशासन ने जांच में पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया है।

....................... विजिलेंस ने मांगे सात सवालों के जवाब

1-जेल निर्माण के प्रस्ताव की प्रतिलिपि उपलब्ध कराई जाए

2-सिरसखेड़ा में जमीन बेचने वाले किसानों के नाम व संख्या की प्रतिलिपि

3-सभी बैनामों की प्रतिलिपि

4-प्रस्ताव से पूर्व और प्रस्ताव पास होने के समय तक सर्किल रेट की सूची

5-जमीन की दस्तावेजों के साथ जानकारी

6-भुगतान किये गए पूरे पैसे का विवरण बैंक डिटेल के साथ

7-जमीन खरीद प्रक्रिया में लगे अफसरों और कर्मचारियों का पूरा विवरण

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वर्जन--

शासन के निर्देश पर विजिलेंस विभाग ने जेल की जमीन खरीद के साथ ही सीलिंग भूमि प्रकरण की जांच शुरू कर दी है। बरेली स्थित विजिलेंस विभाग के अफसर लगातार हमारे संपर्क हैं। जांच अधिकारी जो सहयोग और दस्तावेज मांग रहे हैं, उन्हें जल्द उपलब्ध कराया जाएगा। जांच में पूरा सहयोग प्रदान किया जा रहा है।

-लक्ष्मीशंकर सिंह,एडीएम प्रशासन

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मामला लिखित रूप से अभी हमारे संज्ञान में नहीं है। इस संबंध में अभी हमसे विजिलेंस विभाग के किसी भी अफसर ने कोई संपर्क नहीं किया है। अगर जांच टीम हमसे कोई जानकारी मांगती है तो पूरी मदद की जाएगी। जमीन खरीद की पूरी कार्रवाई प्रशासनिक स्तर पर की गई है, लिहाजा इस जांच से जेल प्रशासन का कोई मतलब नहीं है।

-राजेन्द्र सिंह, जेलर, कारागार मुरादाबाद।

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